नई दिल्ली- जम्मू-कश्मीर में वर्तमान में अधिकतर हिन्दू नहीं रहना चाहते। खासकर कश्मीरी पंडित तो किसी भी हालत में अब घाटी छोड़ना चाहते हैं। हर सिक्के का दूसरा पहलू भी होता है और सिक्के के पहले पहलू की बात करें तो 90 के दशक के बाद घाटी में तमाम आतंकी घटनाएं हुईं लेकिन आतंकी कभी टारगेट किलिंग को अंजाम नहीं देते थे। सेना के जवानों से उनका लफड़ा होता था। आतंकी किसी मजदूर पर हमला नहीं करते थे और हिन्दुओं या कश्मीरी पंडितों पर भी इस तरह हमला नहीं करते थे जिस तरह कुछ महीनों से हो रहा है।
देश के सभी लोग तो कश्मीर नहीं गए होंगे लेकिन जो गए हैं उन्हें पता है कि कश्मीरी देश के अन्य राज्यों से गए लोगों की इज्जत और मान सम्मान करते थे। इसका प्रमुख कारण था कि देश के अन्य राज्यों से गए पर्यटकों के कारण ही उनकी रोजी रोटी चलती थी। हर परिवार में अच्छे बुरे लोग होते हैं इसलिए कभी कभार कोई वारदात हो जाती थी लेकिन इस तरह से नहीं होती थी जैसे वर्तमान में हिन्दुओं को चुन-चुन कर निशाना बनाया जा रहा है। कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या के बाद वहाँ के कश्मीरी पंडित अब भी कहीं-कहीं धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन उसके बाद अब तक कई हत्याएं हो गईं जिस कारण अब घाटी से हिन्दू पलायन कर रहे हैं। हिन्दुओं से जाति धर्म पूंछकर उन्हें आतंकी निशाना बना रहे हैं।
5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा 370 ख़त्म की गई और उसके कुछ महीने तक घाटी में चप्पे-चप्पे पर सेना तैनात रही, इंटरनेट वगैरा भी बंद किया गया। धीरे-धीरे सब कुछ सामान्य हो गया। कोई बड़ी अनहोनी नहीं हुई। पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की पूरे देश में तारीफ़ भी हुई। पीएम मोदी का दूसरा कार्यकाल काफी अच्छा बताया जा रहा था। सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि अचानक कश्मीर पर एक फिल्म बन गई।
अब यहाँ से सिक्के का दूसरा पहलू शुरू होता है। 11 मार्च 2022 को द कश्मीर फाइल्स फिल्म लांच हुई और भाजपा की जिन राज्यों में सरकारें हैं वहाँ ये फिल्म टैक्स फ्री कर दी गई। पीएम और तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने फिल्म की सराहना की और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने धमाल मचाया और इस फिल्म ने तीन हफ्तों में 238 कमा लिया। अब तक को कमाई 500 करोड़ रूपये के पार पहुँच गई होगी। फिल्म के निर्माता निर्देशक और अभिनेता मोटी कमाई के बाद विदेशों में सैर सपाटे करने लगे लेकिन ये फिल्म घाटी में रह रहे कश्मीरी पंडितों पर भारी पड़ने लगी और जो 90 दशक के बाद नहीं हुआ वो शुरू हो गया। कश्मीरी पंडित चुन-चुन कर निशाना बनाये जाने लगे और वर्तमान में हालात ऐसे हो गए हैं कि कोई कश्मीरी पंडित कश्मीर में नहीं रहना चाहता।
कश्मीरी पंडित अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं। जो कामकाज या वहाँ नौकरी करते थे वो अब ड्यूटी पर जाने से कटरा रहे हैं। उन्हें डर है कि न जाने कब उनके बच्चों या उन पर हमला हो जाए। मुंबई के भांडों ने कई बार देश को आग के हवाले किया है पैसा कमाने के लिए। जाति धर्म के नाम पर लोगों को लड़ाते हैं, पैसा कमाने के लिए, तमाम धर्मों का अपमान करते हैं पैसा कमाने के लिए, यहाँ तक कि पैसा कमाने के लिए ये इतिहास से भी खिलवाड़ करते हैं। राजनीतिक पार्टियों को वोट से मतलब इसलिए ऐसे भांड अब भी देश में अपनी मनमानी कर रहे हैं। पैसा कमाने के लिए नफरत के बीज यही बोल रहे हैं। भुगत रहे हैं बेगुनाह लोग।
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