चंडीगढ़- इसी महीने हरियाणा में निकाय चुनाव हैं और भाजपा और उसकी सहयोगी जजपा अपने उम्मीदवारों के नामों का एलान कर रही है। आम आदमी पार्टी ने भी कई उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया। इनेलो फिलहाल उस समय से सदमे में है जबसे पूर्व सीएम ओपी चौटाला को जेल भेजा गया। बसपा हरियाणा से गायब है। राजकुमार सैनी की पार्टी का भी कोई अता-पता नहीं है यहाँ तक राजकुमार सैनी भी अब बहुत कम दिख रहे हैं।
निकाय चुनावों में कांग्रेस ने सिम्बल पर न लड़ने का फैसला किया जो कांग्रेस का एक अच्छा कदम नहीं बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि हाल में प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के बारे में जो कुछ कहा था वो सवा सौ फीसदी सत्य है, कांग्रेस को विधायक और सांसद चाहिए, जमीन स्तर पर कार्यकर्ता नहीं चाहिए इसलिए कांग्रेस की नाव लगातार डूब रही है, प्रशांत ने कांग्रेस को डूबती जहाज बताया और कहा इसलिए लोग जहाज पर से उतर कर भाग रहे हैं। गांव हो या शहर, पंच, सरपंच, पार्षद अगर किसी पार्टी का झंडा अपनी गाड़ी पर लगाते हैं तो खुद को और ताकतवर समझते हैं। भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को ऐसा मौका देती है लेकिन कांग्रेस नहीं दे पा रही है इसलिए उसकी लुटिया डूब रही है।
बात कर रहे हैं हरियाणा की जहाँ अब भी कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है लेकिन न जाने किस बात का डर है जो अपने आपको आम आदमी पार्टी से भी ज्यादा कमजोर समझ रही है और निकाय चुनाव सिम्बल पर लड़ने से मना कर दिया गया। इसके बाद पंचायत और नगर निगम चुनाव भी हैं हो सकता है कांग्रेस उसी राह पर चले और इन चुनावों में भी सिम्बल पर न लड़े। कांग्रेस के बारे में कहा जा रहा है कि कांग्रेस की विनाशकाले विपरीति बुद्धि जारी है।
निकाय चुनाव की बात करें तो अब भाजपा का मुकाबला किससे होगा कोई पता नहीं है क्यू कि कांग्रेस एक तरह से मैदान छोड़ भाग चुकी है। जेजेपी भी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतार रही है। अब जेजेपी नेता किस तरह का प्रचार करेंगे इसका इन्तजार है, क्या भाजपा के खिलाफ बोलेंगे या कांग्रेस या आप के खिलाफ? समय का इन्तजार करें।
निकाय चुनाव के बाद नगर निगम और पंचायत चुनाव होंगे और हो सकता है इस चुनाव में भी भाजपा-जजपा आमने सामने दिखे। फरीदाबाद में नगर निगम चुनाव होने हैं। 45 वार्डों पर भाजपा अपने और जेजेपी अपने उम्मीदवार उतार सकती है, यही नहीं बीजेपी और जेजेपी अपने-अपने मेयर उम्मीदवार सकती है। सीट महिलाओं के लिए आरक्षित है और बीजेपी की तरह से कुछ नाम सामने आ रहे हैं जबकि सूत्रों द्वारा सूचना मिल रही है कि जेजेपी भी अपना उम्मीदवार खोजने लगी है।
इस चुनाव में हो सकता है कांग्रेस सिम्बल पर अपने उम्मीदवार उतार दे खासकर ये खबर पढ़ने के बाद, अगर ऐसा हुआ तो मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के बीच होगा। लगभग तीन महीने से आप के पाले में जाने वाले लोग अब बहुत परेशान हैं। वो अब टोपी उतार कर फेंक सकते हैं। कई बड़े कारण हैं जैसे कि बिना चुनाव के वसूली शुरू हो गई, डोनेशन माँगा जाने लगा, कुरुक्षेत्र रैली से कुछ दिन पहले फरीदाबाद में दिल्ली के कुछ नेताओं ने डायरेक्ट कहा कि रैली के लिए डोनेशन दें, अगर पार्षद का चुनाव लड़ना है तो? अब लोगों का आम आदमी पार्टी से मोह भंग उम्मीद से ज्यादा हो रहा है। इसी समय सिंगर सिद्धू मूसेवाला की हत्या और आम आदमी पार्टी के दो राज्यों के दो स्वास्थ्य मंत्रियों का हवाला और भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाना भी पार्टी पर भारी पड़ रहा है।
नगर निगम फरीदाबाद चुनाव की बात करें तो ये मुकाबला दिलचस्प होगा। अगर कांग्रेस को समय से सद्बुद्धि आई और कांग्रेस ने सिम्बल पर चुनाव लड़ा तो कांग्रेस का पलड़ा भारी रहेगा और कांग्रेस अपना मेयर भी बना सकती है क्यू कि फरीदाबाद की 80 फीसदी जनता खुद को नरकवासी बता रही है। आम आदमी पार्टी को शायद ही एक सीट मिले। जेजेपी की बात करें तो डायरेक्ट मेयर के चुनाव में अगर जेजेपी ने अपना उम्मीदवार उतारा तो चौथे स्थान पर रह सकती है। आम आदमी पार्टी से भी ज्यादा दुर्गति हो सकती है।
शहर के लगभग आधा दर्जन अच्छे युवा फ़िलहाल जेजेपी में हैं। इनमे से एक दो वर्तमान में पार्षद भी हैं और जब ये पार्षद बने तो ये किसी पार्टी में नहीं थे, अपने दम पर इन्होने चुनाव लड़ा और पार्षद बने। ये युवा नेता फिर पार्षद बन सकते हैं लेकिन अपने दम पर, जेजेपी-जेजेपी करेंगे तो इन युवाओं की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। क्यू कि फरीदाबाद में जेजेपी का कोई अस्तित्त्व नहीं है।
अगर जेजेपी ने हर वार्ड से अपने उम्मीदवार खड़े किये तो लगभग 30 वार्डों पर जेजेपी के उम्मीदवार 50-100 से लेकर 500 वोटों तक सीमित रहेंगे। 10 वार्डों पर 500 से 1000 और बचे 5 वार्डों पर अन्य पार्टियों के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर देंगे लेकिन ये टक्कर उम्मीदवार अपने दम पर देंगे, जेजेपी के बैनर तले नहीं। जेजेपी के फरीदाबाद के नेता उस दिन से नाराज हो गए जब जिले की कमान एक बदनाम के हांथो सौंप दी गई।
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