चंडीगढ़ - हरियाणा में कल निकाय चुनावों का डंका बजा जिससे निकाय चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार खुश हैं और अब तैयारी में जुट गए हैं लेकिन कल ऐसे कुछ लोग दुखी भी हुए और निराश भी हैं जो ये मान कर चल रहे थे कि कल की फरीदाबाद नगर निगम चुनावों की घोषणा भी हो जाएगी। जुलाई के अंतिम हफ्ते में मतदाता सूची का प्रकाशन होना है इसके बाद ही निगम चुनाव हो सकते हैं। जुलाई अगस्त, सितम्बर में सरकार शायद ही फरीदाबाद नगर निगम चुनाव करवाए क्यू कि मानसून सीजन में शहर का हाल पहले से भी बुरा होगा। जिन सड़कों पर अभी लोग चल रहे हैं वो भी टूट सकती हैं। कुछ सड़कें भले ही बन जाएँ लेकिन जलभराव यहाँ भी देखा जा सकता है और कल सुबह की बारिश में देखा भी गया ऐसे में सरकार बड़ा रिश्क शायद ही ले और फिर चुनाव अक्टूबर या नवम्बर तक लटकाये जा सकते हैं।
इस बार शहर में मेयर का चुनाव डायरेक्ट होना है और डायरेक्ट चुने जाने के बाद मेयर का रुतबा भी बढ़ जाएगा। शहर के लोगों का कहना है कि अब फरीदाबाद का मेयर मिनी सांसद कहा जाएगा क्यू कि शहर की कई विधानसभा सीटें इन चुनाव के अंतर्गत आती हैं। ये चुनाव बड़ा खर्चीला भी होगा इसलिए आम आदमी के लिए आसान नहीं होगा। या तो कोई नामवर नेता ये चुनाव लड़ेगा या कोई मालदार मैदान में दिखेगा।
मेयर का चुनाव कौन लड़ेगा फिलहाल इस बात की चर्चाओं में तीन परिवारों के नाम लिए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि पिछले कार्यकाल में वरिष्ठ उप महापौर रहे देवेंद्र चौधरी भाजपा से मैदान में उतर सकते हैं। पूर्व उद्योगमंत्री विपुल गोयल के परिवार से कोई मैदान में उतर सकता है ऐसी भी कानाफूसी शुरू हो गई है। पूर्व केबिनेट मंत्री महेंद्र प्रताप सिंह के परिवार की चर्चा भी इस लिस्ट में है। आम आदमी पार्टी भी इस बार मैदान में होगी और इस पार्टी से ओपी वर्मा को भावी उम्मीदवार बताया जा रहा है तो अब चर्चे कमल सिंह तंवर के भी इसी पार्टी से होने लगे हैं। अमन गोयल नाम के एक युवा आप नेता भी मेयर का चुनाव लड़ना चाहते हैं। शहर में चर्चे हैं कि मेयर के चुनाव में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में होगा।
कल से शहर में एक और हवा बहने लगी है। कल घर वापसी करने के बाद पूर्व मुख्य संसदीय सचिव एवं बल्लबगढ़ से दो बार विधायक रह चुकीं शारदा राठौर का नाम अचानक कांग्रेस की तरफ से मेयर पद के उम्मीदवार के रूप में लिया जा रहा है। कहा जा रहा है कि देश के कई बड़े शहरों में कुछ नेताओं को केंद्रीय केबिनेट में जगह मिली है तो कुछ राज्य की केबिनेट में तो कुछ मेयर से उप मुख्य्मंत्री तक बनाये जा चुके हैं इसलिए अगर कांग्रेस शारदा राठौर को मैदान में उतरने को कहती है तो वो शायद ही मना कर सकें।
कहा जा रहा है कि बड़खल हो या ओल्ड फरीदाबाद या तिगांव या एनआईटी या पृथला, हर कोई शारदा राठौर को उनके नाम से जानता है और बल्लबगढ़ की बात करें तो वहाँ से तो वो दो बार विधायक रह चुकीं हैं और उनका कार्यकाल बेदाग़ रहा है इसलिए वो कांग्रेस की तरफ से मजबूत उम्मीदवार साबित हो सकती हैं। कहा ये भी जा रहा है कि कल 8 पूर्व विधायकों ने घर वापसी की लेकिन सबसे पहले शारदा राठौर की घर वापसी करवा कांग्रेस ने उन्हें उचित मान सम्मान दिया। प्रदेश अध्यक्ष उदयभान, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, राज्य सभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा बार-बार उनका नाम लेते रहे। इस सम्मान को देख शारदा राठौर भी खुश दिखीं।
शहर में ये भी चर्चें हैं कि कांग्रेस अगर गुटबाजी ख़त्म कर एक हो जाए तो भाजपा के उम्मीदवार से सीधा मुकाबला कर सकती है क्यू कि शहर में समस्याएं सुरसा जैसे मुँह फैलाकर खड़ी हैं और कम होने का नाम ही नहीं ले रहीं हैं। कहीं बड़ा घोटाला तो कहीं सीवर के खुले मेनहोल में गिरकर शहर के लोग जान गँवा रहे हैं। शहर के 80 फीसदी लोग शहर को स्मार्ट सिटी के बजाय नरक सिटी बता रहे हैं ऐसे में कांग्रेस के पास बड़ा मौका है।
कुछ लोगों का कहना है कि कांग्रेसी शायद ही एकजुट हों और ऐसे में भाजपा फिर अपना मेयर बना लेगी। फरीदाबाद के कांग्रेसी फिलहाल एक-दुसरे का खेल खराब करने का कोई मौका नहीं चूक रहे हैं। सत्तापक्ष के खिलाफ लड़ने के बजाय रात-दिन सोंचते रहते हैं कि अपने ही पार्टी के नेताओं का बढ़ता कद कैसे झुकाया जाए। अवतार-करतार पर अब दल बदलू का बड़ा ठप्पा लग चुका है और फरीदाबाद में लोकसभा स्तर का कोई कांग्रेसी चराग लेकर भी ढूंढें से नहीं मिल रहा है ऐसे में सत्ताधारी पार्टी अब भी काफी मजबूत दिख रही है जिनके पास गली स्तर के कार्यकर्ता हैं और कांग्रेस के पास फिलहाल वार्ड स्तर के कार्यकर्ता भी नहीं हैं ऐसे में हाल में चुने गए प्रदेश अध्यक्ष पर सबकी निगाहें हैं कि वो कब तक संगठन खड़ा करेंगे। कुछ कांग्रेसियों का कहना है कि सोनीपत नगर निगम के मेयर का चुनाव डायरेक्ट हुआ था और हमारी जीत हुई थी और फरीदाबाद में भी होगी। फिलहाल चुनाव लटके हैं और खास जानकारी ये मिल रही है कि नगर निगम चुनाव लड़ने का इरादा और पार्षद बनने का सपना देखने वाले कुछ संभावित उम्मीदवारों का अब बुरा हाल होने लगा है। बेचारे पिछले दशहरे, दीवाली, नया साल, 26 जनवरी, होली पर शहर के खम्भों पर होर्डिंग्स लगाते, लगाते कंगाल हो गए हैं और अब तक कोई पता नहीं कि नगर निगम चुनाव कब होंगे।
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