महाराणा प्रताप के शासनकाल में सबसे रोचक तथ्य यह है कि मुगल सम्राट अकबर बिना युद्ध के प्रताप को अपने अधीन लाना चाहता था इसलिए अकबर ने प्रताप को समझाने के लिए चार राजदूत नियुक्त किए जिसमें सर्वप्रथम सितम्बर 1572 ई. में जलाल खाँ प्रताप के खेमे में गया, इसी क्रम में मानसिंह, भगवानदास तथा राजा टोडरमल प्रताप को समझाने के लिए पहुँचे, लेकिन राणा प्रताप ने चारों को निराश किया, इस तरह राणा प्रताप ने मुगलों की अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया जिसके परिणामस्वरूप हल्दी घाटी का ऐतिहासिक युद्ध हुआ। महाराणा प्रताप ने जंगल में रहकर घास की रोटी खाना स्वीकार किया लेकिन अधीनता को स्वीकार नहीं किया हिंदुत्व को बचाने के लिए मुगलों के आगे सिर नहीं झुकाया हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए अपने स्वाभिमान को बचाने के लिए हमें दुःखी-सुखी रहना पड़े वह लेना चाहिए। जैसे महाराणा प्रताप भीलों के साथ रहे उसी प्रकार हिंदू समाज में एकजुटता रखनी चाहिए बाहरी आक्रमणकारियों के षड्यंत्र का हिस्सा नहीं बनना है इत्यादि विचारों पर हमें चले यही सीख उपस्थित जन गण को दी।
बृजमोहन जी ने कहा महापुरुष किसी भी विशेष जाति समाज या संप्रदाय के नहीं होते इन पर सभी देशवासियों का हक है। यह कुछ राजनीतिक वह कुछ व्यक्तिगत लालच के लिए स्वार्थी लोग इन्हें जातिगत बांट देते हैं। हमें महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर अपने परिवार अपने समाज वह अपने देश में तरक्की करने का सपना संजोना चाहिए हमें यह देखना चाहिए किन विषम परिस्थितियों में राणा ने अपने आप को सक्षम बना कर भारत देश के सबसे बड़े शक्तिशाली मुगल शासक अकबर के घुटने टिकवा कर हिंदुत्व को स्थापित किया। हमें उनके जीवन के संघर्ष से प्रेरणा लेकर अपने समाज अपने देश की तरक्की के लिए अग्रसर रहना चाहिए। हमें उन्हे आदर्श मानकर समाज में फैली जाति पाति की विचारधारा को दूर करने के लिए उपस्थित सभी जन गण से प्रार्थना की कि उन्हें अपने जीवन में उतारे। भारत में अशिक्षा, स्त्री शिक्षा, जाति-पांति, छुआछूत आदि समस्याओं के विरुद्ध जिन लोगों ने संघर्ष किया और समाज में समरसता कायम करने का प्रयास किया उन्हें आदर्श बनाकर उनके कार्यक्रम करने चाहिए। आने वाली पीढि़यों को इन बीमारियों से बचाने का यही एकमात्र उपाय है।
प्रेम नाथ जी ने उपस्थित सभी लोगों का सम्मान किया उपस्थित सभी सदस्यगण राजे राम, अशोक मिश्रा, हेडमास्टर रण सिंह, वीएम बैचेन, बजरंग गोयल, धर्मवीर यादव, विनोद मास्टर, जितेंद्र अधिवक्ता, पवन सैनी, सुखपाल, प्रदीप कौशिक, राजीव तंवर, मुकेश अग्रोहिया, वेदपाल परमार व सभी सदस्यों ने प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए।
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