नई दिल्ली- नेता किसी दूसरी दुनिया से नहीं आते हैं। वो आपके बीच से ही होते हैं लेकिन जब वो बड़े नेता बन जाते हैं तो शायद बहुत कुछ भूल जाते हैं। भूल जाते हैं कि वो भी कभी साधारण इंसान थे। 100 में से दो चार नेताओं के पैर ही जमीन पर रहते हैं अन्य आसमानी हो जाते हैं, बारिश में जनता से वादा करते हैं कि हमारे राज्य में पानी की कोई कमी नहीं है। सर्दी में जिस समय लोगो के पंखे कूलर,ऐसी बंद होते हैं उस समय जनता से कहते हैं हमारे राज्य में बिजली की कोई कमी नहीं है। जनता को मूर्ख समझने लगते हैं जबकि जनता अच्छी तरह जानती है कि जब बारिश होती है तो वैसे ही पानी की कोई कमी नहीं होती। सर्दी आती है तो बिजली की खपत कम होती है। जमाना थोड़ा बदल गया है। चुनावों के समय नेता लोग जनता को दूसरी मुद्दों में उलझा देते हैं और वोट झटक लेते हैं।
वर्तमान समय में देश के कई राज्य बिजली संकट से जूझ रहे हैं। पिछले साल अप्रैल में जिस तरह से बारिश हुई थी इस बार वैसा नहीं हुआ और बिजली की खपत और बढ़ गई और फिर तमाम राज्य सरकारों के दावों की पोल खुल गई। जनता त्राहि त्राहि कर रही है। सोशल मीडिया पर कई राज्यों के लोगों को तरह तरह की बातें बिजली संकट को लेकर लिखते हुए आप देख सकते हैं। कई राज्यों में छोटे-बड़े उद्योगपतियों का बुरा हाल होने लगा है। आम आदमी को ऐसी में सोने की आदत पड़ गई है और अब ज्यादा बिजली कट होने से उनका भी बुरा हाल है। गरीब और झुग्गी बस्ती वाले तो दिन भर मेहनत कर रात में छत पर सो जाते हैं लेकिन ऐसे लोग बिजली कट की वजह से पाने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं खासकर शहरों में रहने वाले।
हरियाणा की बात करें तो सर्दियों के प्रदेश के बिजली मंत्री रणजीत सिंह कहते थे कि प्रदेश के शहरों को ही नहीं 5000 हजार से ज्यादा गांवों को भी 24 घंटे बिजली दी जा रहे है। जरा सी गर्मी क्या आई बिजली मंत्री के दावे फेल हो गए। अब कहा जा रहा है कि उद्योगों में उत्पादन 40 प्रतिशत तक कम हो गया है। ऐसे में उद्योगपतियों के पहले के करार टूटने की कगार पर हैं। जनरेटर से उद्योगों को चलाने से उत्पादन लागत बढ़ गई है। इससे कारोबारियों को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है। हाल में सीएम मनोहर लाल से कहा था कि वो अडानी से बात करेंगे लेकिन अभी शायद अडानी के पास समय नहीं है इसलिए सीएम उनसे नहीं मिल सके। देखते हैं कब तक समस्या का समाधान होता है।
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