नई दिल्ली- हो सकता है कल भी डीजल पेट्रोल या अन्य किसी चीज का दाम बढ़ जाए लेकिन अब हरियाणा की राजनीति में कुछ दिनों तक मंहगाई के बजाय चंडीगढ़ किसका है इस पर गरम होती रहेगी। हरियाणा सरकार ने इस मुद्दे पर जहां विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है तो विपक्ष के कई नेता भी अलग अलग बैठकें करने का प्लान बना चुके हैं वहीं माहौल को गरम करने वाली आम आदमी पार्टी अब भी हरियाणा में लोगो को टोपी पहनाने में जुटी है। आज भी प्रदेश भर में सैकड़ों लोगों ने आम आदमी पार्टी का दामन विभिन्न जिलों में थामा।
इस मुद्दे पर स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि पंजाब में आप पार्टी भगवंत मान सरकार विधानसभा चुनावों में किये अपने वायदों से ध्यान हटाने एक सुनियोजित रणनीति के तहत पंजाब-हरियाणा के बीच तनाव पैदा करके जनता के असली मुद्दों, मांगों से ध्यान हटाने का कुप्रयास कर रही है। विद्रोही ने कहा कि इसी रणनीति के तहत भगवंत मान ने जान-बूझकर व्यर्थ का विवाद उत्पन्न करने के लिए चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने का प्रस्ताव विधानसभा में पास करवाया है। आप पार्टी जानती थी कि उसको मिले भारी बहुमत के चलते पंजाब विधानसभा में चंडीगढ़ पंजाब को देने का प्रस्ताव भी पास होगा और पंजाब के अन्य विपक्षी दल भी उनके इस प्रस्ताव का समर्थन करने को रजनीतिक रूप से मजबूर होंगे। पंजाब को चंडीगढ़ सौंपने के प्रस्ताव से भगवंत मान-आप पार्टी ने तीर से दो शिकार किये है।
विद्रोही ने कहा कि एक ओर आप पार्टी भगवंत मान ने अपने चुनावी वादों से पंजाब की जनता का ध्यान हटाकर पंजाब-हरियाणा के बीच विवाद को हवा देकर असली ज्वलंत मुद्दे न उठे, इसका प्रबंध किया है, वहीं दूसरी ओर हरियाणा-पंजाब के बीच व्यर्थ का आपसी विवाद पैदा करके मोदीजी को खुश किया है ताकि हरियाणा-पंजाब के आमजन महंगाई, बेरोजगारी, मोदीजी की तुगलकीे आर्थिक नीतियों के चलते बढ़ती आर्थिक बदहाली व मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन करने की बजाय आपस में उलझकर असली मुद्दों से भटककर भावनात्मक रूप से उलझकर भगवंत मान सरकार व केन्द्र की मोदी सरकार के लिए कोई सरदर्दी पैदा न करे। सवाल उठता है कि जो पंजाब विधानसभा 6 बार पहले भी चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने का प्रस्ताव पास कर चुकीे हो, उसी पंजाब विधानसभा द्वारा 7वीं बार ऐसा प्रस्ताव पास करने से धरातल की कौनसी परिस्थिति बदल जायेगी?
विद्रोही ने आप पार्टी व अरविंद केजरीवाल को भी मोदी की तरह जनता को भावनात्मक रूप से ठगकर वोट हडपने वाला ठग बताया। आप पार्टी की न तो कोई राष्ट्रीय व न कोई प्रादेशिक जनहित की नीति है। अरविंद केजरीवाल-आप पार्टी की तो एक ही नीति है, अलग-अलग प्रांतों में गिरगिट की तरह रंग बदलों, विभिन्न बोलियों बोलकर किसी भी तरह लोगों को ठगकर वोट हडपों और जनमुद्दों को भूल जाओ। आप पार्टी, भगवंत मान, केजरीवाल का आचरण बता रहा है कि वे कितने बड़े अवसरवादी, सिद्धांतहीन नेता है। पंजाब के सरकारी दफ्तरों में लगी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की फोटो उतारकर सरकारी गोदामों में बंद कर दी। पंजाब में गांधी जी का नाम लेना भी केजरीवाल-भगवंत मान गुनाह मानते है। वहीं गुजरात में अपनी राजनीतिक दुकान जमाने गांधी चरखा कातने व गांधी जाप करके गुजरातियों को भावनात्मक रूप से ठगने का कुप्रयास करते है। विद्रोही ने सवाल किया कि गिरगिट की तरह इस तरह रंग बदलने वाले अवसरवादी, सिद्धांतहीन नेता क्या किसी भी वर्ग, समुदाय, राज्य का हित कर सकते है। जिनका लक्ष्य ही येनकेन प्रकेरण सत्ता हथियाना हो, ऐसे नेता, दल, देश व समाज के लिए कितने विनाशकारी साबित होंगे, यह बताना भी बेमानी है।
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