हरियाणा: फरीदाबाद सूरजकुंड आजादी के अमृत महोत्सव की श्रृंखला में आयोजित 35वें अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला 2022 में हरियाणा की प्राचीन विरासत को प्रदर्शित करता आपणा घर (म्हारी संस्कृति, म्हारा ठिकाणा-विरासत हैरिटेज हरियाणा) स्टॉल मेला में आने वाले सभी पर्यटकों की आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। महिला, पुरूष व बच्चे इस स्टॉल में चारपाई पर बैठे हुक्का गुडगुडाते वृद्ध व उसके पौत्र के साथ सेल्फी लेते देखे जा सकते हैं।
मेला परिसर में मुख्य चौपाल के पीछे डा. महासिंह पुनिया की देखरेख में स्थित आपणा घर स्टॉल पर हरियाणा प्रदेश की प्राचीन विरासत से जुडी वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। ग्रामीण आंचल की बैठक का सजीव चित्रण हुआ है, जिसमें हुबहू वृद्ध व्यक्ति की ऐसी तस्वीर बनाई गई है, जो दूर से बिल्कुल जिंदा इंसान नजर आ रहा है, जिसके साथ उसका छोटा पौत्र भी हरियाणा की आन-बान-शान पगड़ी पहने हुए हैं। हरियाणावी बैठक को आपसी भाईचारे के प्रतीक के रूप में जाना जाता रहा है। इस बैठक में हुक्का भी विशेष भूमिका निभाता है। बैठक में ग्रामीण एकत्र होकर समाज की बेहतरी के बारे में वार्तालाप तथा एक-दूसरे व्यक्ति के सुख-दु:ख को सांझा करते हैं।
आपणा घर स्टॉल में हरियाणा प्रदेश में किसानों द्वारा प्राचीन काल में खेती में प्रयोग किए जाने वाले औजारों को दिखाया गया है, इसमें बैलगाडी, गाडी के लोहे व लकडी के पहिये, बैलो का जुआ, ओरणा, ऊंट की कुल्ची, हाथ से चारा काटने की मशीन, जेली, गंडासी, खुर्पा, भूमि को समतल करने के लिए प्रयोग की जाने वाली बैलों की गोड़ी को प्रदर्शित किया गया है। इसके साथ-साथ प्राचीन वेशभूषा में सजी-धजी हरियाणवी ताई को घूंघट में दूध बिलोते हुए दिखाया गया है। प्राचीन वेशभूषा में घाघरा व खारा के अलावा विभिन्न 28 प्रकार की पगडियां भी प्रदर्शित की गई हैं।
इस स्टॉल में लोगों द्वारा प्राचीन समय में घरों में प्रयोग किए जाने वाले पीतल व कांसे के बर्तनों बेल्ला, थाली, सुराही, लोटा, कांटा बिलाई, पुरानी स्टीम प्रैस, पुराने रेडियो, पत्थर की आटा चक्की, ऊंखल, सांझी/झांझी, टोकणा-टोकणी के अलावा पांच ग्राम से 40 किलोग्राम के सभी प्राचीन बाट (तोल की इकाई) भी प्रदर्शित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त चरखा, पीढा, खटोला, फूलझडी, बाण, मूढे, गुडिया यहां देखी जा सकती है।
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