चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर ने कहा कि 50 साल पहले लोग अपनी जमीन सरकार को विकासात्मक योजनाओं के लिए दान में या गिफ्ट में दे दिया करते थे। उस समय सब मौखिक रूप से होता था, लिखित में कुछ नहीं होता था। आज उनकी पीढियां कोर्ट में चली जाती हैं और दावा करते हैं कि यह जमीन हमारी है और उस पर बनी सार्वजनिक उपयोगिताओं की संपतियों को खत्म किया जाए। ऐसे मामलों से राहत के लिए ही हम हरियाणा लोकोपयोगिताओं के परिवर्तन का प्रतिशेध विधेयक, 2022 लेकर आये हैं।
मुख्यमंत्री विधानसभा के चल रहे बजट सत्र के दौरान आज हरियाणा लोकोपयोगिताओं के परिवर्तन का प्रतिशेध विधेयक, 2022 पर चर्चा के दौरान सदन में बोल रहे थे।मनोहर लाल ने कहा कि आज हम सरकारी परियोजना के लिए जब भी कोई जमीन लेते हैं तो लिखित में उस जमीन को विभाग के नाम करते हैं, ताकि मुकदमेबाजी से राहत मिल सके। आज ऐसा कोई मामला नहीं है। इस तरह के सभी मामले 20, 30 और 50 साल पुराने हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि इस विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि इस तरह के मामले में 90 दिनों के भीतर कोई मालिक अपील दायर कर करता है। परंतु यदि 20 साल तक कोई अपनी जमीन के लिए दावा ही नहीं करता और 20 - 30 साल बाद दावा करता है, तो वह जायज नहीं है। इसलिए हम यह कानून लेकर आए हैं, ताकि इस तरह के मामलों से राहत मिले।विपक्ष द्वारा उनकी मांगें सरकार द्वारा न मानने के आरोप पर मुख्यमंत्री ने विपक्ष को सख्त लहजे में स्पष्ट करते हुए कहा कि सरकार के समक्ष आपने मांगे रखने का विपक्ष का अधिकार है और सरकार का भी अधिकार है कि किस मांग को स्वीकार करना है और किसे नहीं। विपक्ष अपनी मांगे मनवाने के लिए सरकार पर दबाव नहीं बना सकता है।
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