3 मार्च 2022- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने एक मार्च से कमिर्शियल रसोई गैस सिलेंडर का भाव 105 रूपये बढ़ाकर प्रति सिलेंडर 2012 रूपये कर दिया जो बताता है कि 8 मार्च के पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव खत्म होते ही पैट्रोल-डीजल, रसोई गैस, सीएनजी-पीएनजी के भावों में भी भारी बढोतरी होगी जो आमजन की आर्थिक कमर बुरी तरह से तोडकर महंगाई डायन को लोगों को खाने का खुला अवसर देगी। विद्रोही ने कहा कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मतदाता की वोट हडपने विगत डेढ़ माह से मोदी सरकार जान-बूझकर पैट्रोल, डीजल के भाव नही बढा रही पर 8 मार्च के बाद यह तय है कि पैट्रोल, डीजल भावों 10 से 15 रूपये प्रति लीटर बढ़ेगे, वहीं रसोई गैस, सीएनजी-पीएनजी गैस के भाव भी बढ़ेंगे। विधानसभा चुनाव सम्पन्न होते ही 8 मार्च के बाद देश के आमजन को भारी महंगाई बढऩे का सामना करना होगा जिससे आमजनों को दो वक्त रोटी भी जुटाना मुश्किल हो जायेगा।
विद्रोही ने कहा कि जब-जब चुनाव आते है, मोदी सरकार पैट्रोल-डीजल भाव बढने से रोक देती है और चुनाव खत्म होते ही एकमुश्त भावों में बढोतरी करके आमजनों को लूटकर चंद पूंजीपतियों की तिजौरियां भरने लग जाती है। मोदी सरकार की लूट नीति का यह परिणाम है कि देश के 53 प्रतिशत नागरिकों की आय में भारी कमी आई है और केवल 142 पूंजीपतियों की तिजौरियां लबालब भर गई है। मोदी की तुगलकी आर्थिक नीतियों की बदौलत भारत में भूखमरी, बेकारी बढ़ रही है और चंद पूंजीपतियों की दौलत बेशुमार बढ़ रही है। मोदी राज में विकास के नाम पर जुमले उछालकर लोगों को ठगा जा रहा है जबकि विकास हो नही रहा।
विद्रोही ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ रिपोर्ट में सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में दुनिया के 192 देशों में भारत की रैकिंग 120वीं है व पाकिस्तान की रैकिंग 129वीं है जबकि भारत के पडौसी देश भूटान, नेपाल, बांगलादेश, श्रीलंका की सतत विकास लक्ष्य प्राप्ति में भारत से कहीं बेहतर रैकिंग है। यूएनओ की सतत विकास लक्ष्य प्राप्ति की ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत की आर्थिक स्थिति बहुत खस्ता है और अच्छी अर्थव्यवस्था के मोदी सरकार के सभी दावे हवा-हवाई जुमले हे। विद्रोही ने कहा कि लोगों की नादानी से एक गलत सरकार चुनने का यह दुष्परिणाम है कि आमजन महंगाई, भूखमरी, बेरोजगारी की मार से कराह रहा है और सत्ता दुरूपयोग से आमजन की जेब काटकर चंद पूंजीपतियों की तिजौरियां ठसाठस भरी जा रही है।
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