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हरियाणा में रजिस्ट्री घोटाला, देखें विधासभा में क्या बोले दुष्यंत चौटाला 

Dushyant-Chautala
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चंडीगढ़, 15 मार्च-हरियाणा के उपमुख्यमंत्री  दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जमीनों की रजिस्ट्री के मामले में अनियमितता करने वालों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। राज्य सरकार को जहां भी गड़बड़ी होने का अंदेशा हुआ तो उसकी जांच करवाई गई और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई। उन्होंने सदन के कुछ सदस्यों द्वारा ‘जमीनों की रजिस्ट्री में अनियमितता के आरोपों’ बारे लाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव का करारा जवाब दिया जिससे आलोचना करने वाले सदस्य निरूत्तर हो गए।

 दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जिस प्रकार से राज्य सरकार ने जमीनों की रजिस्ट्री करने में नियमों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की है उसको देखते हुए विपक्ष के सदस्यों को आलोचना की बजाए सराहना करनी चाहिए, क्योंकि आज तक के इतिहास में इतनी बड़ी कार्रवाई नहीं की गई।

उन्होंने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 17 और 18 के तहत अचल सम्पत्ति के हस्तांतरण से सम्बन्धित दस्तावेजों के पंजीकरण के कार्य को पंजीकरण अधिनियम, 1908 की धारा 21, 22, 23, 24, 28, 32, 33, 34 तथा 35 में निहित प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए पंजीकरण अधिकारी कार्य करता है अर्थात् किसी भी दस्तावेज को पंजीकरण करने के लिए स्वीकार करने से पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि सम्बन्धित अचल सम्पत्ति उसके अधिकार क्षेत्र में आती है। दस्तावेज के निष्पादन की तिथि के चार माह के अन्दर-2 उसके सामने निष्पादनकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया जाता है तथा अचल सम्पत्ति की उचित पहचान के लिए नक्शा/राजस्व रिकार्ड के साथ दस्तावेज का मिलान किया जाता है। अचल सम्पत्ति के दस्तावेजों के पंजीकरण के समय पंजीकरण अधिकारी द्वारा कुछ अन्य केन्द्रीय एवं राज्य अधिनियमों में दिए गए प्रावधानों की अनुपालना भी करनी होती है।

डिप्टी सीएम ने बताया कि वर्ष 2017 से पहले एक हेक्टेयर की खाली भूमि का नगरीय क्षेत्र विकास एवं विनियमन अधिनियम, 1975 की धारा 7-क के तहत अनाधिकृत कालोनियों को बढऩे से रोकने के लिए टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा अधिसूचित क्षेत्र में बिक्री एंव पट्टे के लिखित/दस्तावेजों के पंजीकरण हेतू पंजीकरण प्राधिकारी द्वारा डी0टी0पी0 द्वारा जारी अनापत्ति प्रमाण-पत्र लेना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में (3 अप्रैल, 2017 द्वारा अधिसूचित 2017 का हरियाणा अधिनियम संख्या 11) क्षेत्र को एक हेक्टेयर से घटाकर 2 कनाल कृषि भूमि अर्थात कृषि भूमि में नहरी, चाही, बरानी या राजस्व रिकार्ड में किसी अन्य शब्द के रूप में दर्ज की गई भूमि शामिल है। इसके बाद, 14 सितंबर 2020 को उक्त एक्ट में संशोधन करते हुए दो कनाल कृषि भूमि के स्थान पर 1 एकड़ खाली भूमि किया गया है।

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