नई दिल्लीः हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल मंगलवार को देर सायं कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के तरफ से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सभागार में प्राकृतिक खेती को लेकर आयोजित एक दिवसीय कृषि शाला में बतौर मुख्यातिथि के रुप में बोल रहे थे। इससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग मंत्री जेपी दलाल, हरियाणा के खेल मंत्री संदीप सिंह, सांसद नायब सिंह सैनी, विधायक सुभाष सुधा, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा, महानिदेशक डा. हरदीप सिंह, बागवानी विभाग के महानिदेशक डा. अर्जुन सिंह सैनी ने कृषि कार्यशाला में विभिन्न विभागों और प्रगतिशील किसानों द्वारा लगाए गए स्टॉलों का अवलोकन किया और किसानों से प्राकृतिक खेती को लेकर अपने मन की बात को भी साझा किया। इसके उपरांत मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दीपशिखा प्रज्जवलित करकेे विधिवत रुप से प्राकृतिक कृषि कार्यशाला का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत का विशेष रुप से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्रदेश भर से आए किसानों को प्राकृतिक खेती को उदाहरण सहित समझाकर प्रेरित करने का काम किया है। राज्य सरकार भविष्य में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को प्रदेश में प्राकृतिक खेती के प्रति किसानों को जागरुक करने के लिए हर प्रकार के संसाधन और सुविधाएं देेने के लिए हमेशा तैयार रहेगी। वास्तव में 2 साल पहले गुरुकुल कुरुक्षेत्र में इस अभियान को आगाज किया गया था, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस अभियान को एक जन आंदोलन का स्वरुप देने का प्रयास सरकार की तरफ से शुरु कर दिया गया है। देश का पेट भरने वाले किसानों को आज 50 सालों के बाद फिर से खेती के तरीके को बदलकर परम्परागत खेती को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि आज समय की मांग के अनुसार 2 मोर्चों, जिनमें खेती और चिकित्सा पद्घति को प्राचीन पद्घति पर लाना होगा।
उन्होंने कहा कि धर्म-क्षेत्र कुरुक्षेत्र में हजारों साल पहले राजा कुरु ने सोने का हल चलाकर खेती की प्राचीन परम्परा को शुरु करने का काम किया था। आज एक बार फिर से इस धरा से प्राकृतिक खेती को एक नया जीवन देने की शुरुआत कर दी गई है। प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में प्राकृतिक खेती को लेकर कार्यक्रम चलाए जाएंगे और किसानों को प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार की तरफ से प्राकृतिक कृषि बोर्ड बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए अलग से अतिरिक्त निदेशक की नियुक्ति की जाएगी। सरकार ने इस बजट में 32 करोड़ का प्रावधान किया है। इसके अलावा प्राकृतिक खेती के लिए उपकरणों और समान की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। सरकार ने 14 फसलों के एमएसपी को देने का फैसला लिया है और भावांतर भरपाई योजना के तहत भी किसानों को फसलों के भाव दिए जा रहे है। अभी हाल में ही बाजरे के लिए 600 रुपए प्रति क्विंटल की दर से 450 करोड़ रुपए की राशि दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए 3 साल उत्पादन आधारित योजना को भी अमलजामा पहनाने का काम किया है। इस योजना के तहत 100 कलस्टर बनाए जाएंगे और प्रत्येक कलस्टर में 25 एकड़ भूमि को भी प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ा जाएगा। इसके बाद सर्टीफिकेशन, ब्रांडिंग और फिर पैकेजिंग का कार्य किया जाएगा। इसके साथ ही अगर प्राकृतिक खेती कारण किसानों को नुकसान हुआ तो सरकार द्वारा मुआवजेे की राशि देने का काम भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मोटे अनाजों पर अनुसंधान व उत्पादकता में सुधार करने के लिए भिवानी में क्षेत्रिय अनुसंधान केंद्र की स्थापना की जाएगी और वर्ष 2023 को अंतर्राष्टï्रीय मोटे अनाज के रुप में देखा जाएगा। इस बजट में कृषि और किसानों के हित के लिए अनेकों प्रावधान किए है। बजट में जल सरंक्षण को बढ़ावा देने के लिए कपास उत्पादक जिला सिरसा और फतेहाबाद में सूक्ष्म सिंचाई को प्रोत्साहन दिया जाएगा, गर्मी सीजन के मक्का की खरीद एमएसपी करने, नई ग्रामीण संपर्क सडक़ों के निर्माण के लिए मार्किटिंग बोर्ड को 200 करोड़ का अनुदान दिया गया है, फसल समुह विकास कार्यक्रम के तहत 100 पैक हाउस की स्थापना की जाएगी।
उन्होंने कहा कि फसल विविधिकरण कार्यक्रम के तहत 20 हजार एकड़ में फसल विविधिकरण का लक्ष्य, किसानों को किराए पर मशीने उपलब्ध करवाने के लिए 5 मशीन बैंक केंद्रों की स्थापना, किसानों के मार्गदर्शन के लिए प्रगतिशील किसान कृषि दर्शन कार्यक्रम, पशुपालन व डेयरी क्षेत्र में रोजगार के लिए 1 लाख अंत्योदय परिवारों की आर्थिक मदद का लक्ष्य, एम्ब्रयो ट्रांसफर टेक्रोलोजी से पैदा होने वाले बछड़ों पर 10 हजार रुपए प्रोत्साहन राशि, अंत्योदय परिवार जिनके पास पशुओं को रखने के लिए भूमि नहीं है, उन परिवारों को ग्राम पंचायत की भूमि पर एक साझा शैड की व्यवस्था, मत्स्यों पालकों को भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा, भिवानी में इंटीग्रेटिड एक्वा पार्क सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना करने तथा गुरुग्राम में सार्वजनिक निजी भागदारी पद्घति पर जलीय पौधों, मछलियों और जंतुओं का एक आधुनिक एक्यवेरियम स्थापित किया जाएगा। सरकार द्वारा 20 लाख मृदा नमूने प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे और प्रदेश में 1 करोड़ कृषि भूमि में से 80 लाख एकड़ के नमूने लेकर टेस्ट करवाया जाएगा। गांव में बोर्ड लगाए जाएंगे, जिसपर खेतों की टेस्टिंग रिपोर्ट भी अंकित की जाएगी। सरकार द्वारा एफपीओ पर नियंत्रण करके किसानों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
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