14 मार्च 2022- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कहा कि सात सालों में शिक्षा व्यवस्था के सुधार व आधारभूत ढांचे की मजबूती के सभी दावे जुमले साबित हुए। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा में सरकारी व गैरसरकारी कुल 171 कालेज है और इनमें 127 कालेजों अर्थात 74 प्रतिशत कालेजों में प्रिंसीपल नही है व 46 अर्थात 27 प्रतिशत कालेजों के पास खुद का भवन नही है। वहीं 16 कालेजों में कुल मिलाकर 200 छात्र पढ़ते है। दुर्भाग्य से सरकारी कालेजों में तो 40 प्रतिशत से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली पडे है। जब प्रदेश में 171 कालेजों में से 127 कालेजों में प्रिंसीपल नही, 40 प्रतिशत शिक्षकों के पद रिक्त हो और 46 कालेजों के पास खुद का भवन नही तो सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि प्रदेश की कालेज शिक्षा व्यवस्था कितनी लचर हो चुकी है।
विद्रोही ने कहा कि यही स्थिति स्कूल शिक्षा की है जहां 14491 सरकारी स्कूल है, जिसमें 38476 शिक्षक पद अर्थात 31 प्रतिशत पद खाली है। सरकारी स्कूलों में 25 प्रतिशत कमरे जर्जर है और छात्रों के बैठने लायक नहीे है। वहीें 53 प्रतिशत खंड शिक्षा अधिकारियों के पद खाली पड़े है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों की भी यही स्थिति है जहां शिक्षकों के 45 से 50 प्रतिशत खाली है। विश्वविद्यालयों में स्पोर्टिग स्टाफ नही। जब प्रदेश में उच्च, माध्यमिक व प्राथमिक तीनों शिक्षा विभागो में न शिक्षक है, न स्पोर्टिंग स्टाफ है, न पर्याप्त भवन है, न आधारभूत ढांचा है तो सहज अनुमान लगा ले कि सरकार ने विगत सात सालों में सरकारी शिक्षा ढांचा किस कदर बर्बाद किया है। ऐसी स्थिति में प्रदेश बेरोजगारी व सामाजिक बदहाली की ओर नही जायेगा तो किस ओर जायेगा। विद्रोही ने आरोप लगाया कि भाजपा खट्टर सरकार सुनियोजित ढंग से सरकारी शिक्षा ढांचा व व्यवस्था को बदहाल करके छात्रों को निजी शिक्षण संस्थानों में पढने को मजबूर कर रही है ताकि गरीब वर्ग के बच्चे उच्च शिक्षा ही न ले सके। संघी सरकार मनुवादी संघी हिन्दुत्व का वर्चस्व स्थापित करने के लिए गरीब व आमजनों के लिए सुलभता से शिक्षा प्राप्त होने होने द्वार ही सुनियोजित ढंग से बंद कर रही है।
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