9 मार्च 2022- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के वित्तमंत्री के रूप में रखे गए प्रदेश के तीसरे बजट 2022 को आंकडों की बाजीगरी वाला दिशाहीन, विकासहीन, बेरोजगारी व महंगाई बढाने वाला बजट बताया जो हरियाणा पर कर्ज का बोझ और बढ़ायेगा। विद्रोही ने कहा कि बजट में बेशक नये टैक्स नही लगेे, लेकिन मुख्यमंत्री ने भविष्य में नये टैक्स लगाने का रास्ता बजट में छोडा है जो साफ संकेत है कि आगे चलकर लोगों पर टैक्स बोझ बढेगा। हरियाणा बेरोजगारी में देशभर का नम्बर वन राज्य होने पर सभी सत्ता अहंकार में खटटर जी इस बेरोजगारी की भयावह स्थिति को स्वीकारने को तैयार नही और कह रहे है कि हरियाणा में बेरोजगारी मात्र 5 प्रतिशत ही है। इसी सत्ता अहंकार व बेरोजगारी की समस्या को न मानने के कारण बजट में बेरोजगारी को मिटाने के लिए कोई प्रभावी कदम न उठाकर युवाओं को खट्टर जी ने रामभरोसे छोड़ दिया। विद्रोही ने कहा कि वर्ष 2014 में जब कांग्रेस ने सत्ता छोडी थी तब हरियाणा पर कुल कर्ज 70931 करोड़ रूपये था जो सात साल में वर्ष 2021-22 में बढ़कर 223768 करोड़ रूपये हो गया है। इसका अर्थ कि भाजपा खट्टर राज में विगत सात सालों में 152837 करोड़ रूपये का कर्ज लिया।
सवाल उठता है कि लगभग डेढ़ लाख करोड रूपये का कर्ज आखिरकार चला कहां गया क्योंकि विगत सात सालों में हरियाणा में विकास का एक भी बड़ा प्रोजेक्ट नही लगा है। इसका अर्थ है कि सरकार ने यह कर्ज सरकारी खर्चे को चलाने या चोर दरवाजे से भ्रष्टाचार द्वारा संघी नेताओं व अफसरों की तिजौरियां भरने में प्रयोग किया। इस वर्ष का बजट 177255 रूपये का है जिसमें से लगभग 32 प्रतिशत रूपये कर्ज व ब्याज चुकाने में चला जायेगा। इसका अर्थ ये हुआ कि वास्तविक बजट 1.18 करोड़ रूपये का है। खट्टर सरकार का यह रवैया बताता है कि वे चार्वाक के सिद्धांत पर चल रहे है, कर्ज लो, घी पीओ और मौज से जीओ। विद्रोही ने आरोप लगाया कि बजट में नागरिक सुविधाओं के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने व नया आधारभूत ढांच बनाने, शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए जुमलेबाजी व मुंगेरीलाल के हसीन सपनों के सिवाय कुछ नही है। इस बजट में दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल की घोर उपेक्षा हुई है। बजट में इस क्षेत्र के लिए वादों, सपनों के अलावा कोई ठोस प्रावधान करना तो दूर, विगत सात सालों से अधूरे पडे विकास प्रोजेक्ट के लिए भी बजट धन का आवंटन न करके एकबार फिर अहीरवाल के साथ भेदभावपूर्ण सौतेला व्यवहार किया है। अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बजट रखा गया लेकिन महिला उत्थान, विकास के लिए कोई ठोस प्रावधान न करके एक तरह से महिलाओं का अपमान किया। महिला दिवस पर रखे बजट में आंगनवाडी महिला कर्मियों व आशा बहनों को कोई राहत न देना, उनकी मांगे न मानना बताता है कि संघी अपनी महिला विरोधी मनुवादी सोच से आज भी ग्रसित है।
विद्रोही ने कहा कि बजट में विकास को लेकर पीछे छोड़ आगे दौड वाला रवैया अपनाते हुए थोथा चना बाजे घणा वाली कहावत चरितार्थ होती है। हरियाणा में 90 में से 71 विधायकों ने सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पैंशन व्यवस्था बहाल करने का समर्थन करने के बाद भी पुरानी पैंशन बहाल न करने से साफ है कि बजट पूर्व विधायकों व आमजनों की राय लेने की मुख्यमंत्री खट्टर की कवायद मात्र एक सस्ती प्रचार की राजनीति नौटंकी थी। विद्रोही ने कहा कि जब सरकारी कालेजों, विश्वविद्यालयों, स्कूलों में 50 हजार से ज्यादा प्रोफेसर, शिक्षकों के पद खाली है व सरकारी अस्पतालों में डाक्टर, नर्सो व अन्य स्टाफ के 10 हजार पद रिक्त है हो तो सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि हरियाणा का शिक्षा व स्वास्थ्य ढांचा कितना लचर है। हरियाणा बजट 2022 दिशाहीन, विकासहीन, जुमलेबाजी व आंकडों की बाजीगरी का ऐसा बजट है जिससे विकास व सामाजिक सरोकारों की योजनाएं अवरूद्ध होगी। महंगाई, बेरोजगारी व आर्थिक बदहाली बढ़ेगी।
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