फरीदाबाद- तीन बार फरीदाबाद लोकसभा सीट से और एक बार मेरठ से सांसद रहे अवतार सिंह भड़ाना कल जेवर से विधानसभा का चुनाव हार गए। भाजपा के धीरेन्द्र सिंह ने उन्हें 56,315 वोटों से हराकर बड़ी जीत दर्ज की। धीरेंद्र सिंह को 116755 वोट मिले जबकि जबकि रालोद उम्मीदवार अवतार भड़ाना को 60717 वोट मिले और वो चुनाव हार गए। अवतार काफी रोये धोये भी थे लेकिन बात नहीं बनी। यही नहीं उनके बड़े भाई करतार सिंह भड़ाना पश्चिमी यूपी की खतौली सीट से बसपा की टिकट पर चुनाव लड़ा लेकिन उनकी भी बात नहीं बनी और तीसरे नंबर पर रहे। यहाँ भाजपा के उम्मीदवार विक्रम सैनी ने सपा-रालोद उम्मीदवार राजपाल सिंह सैनी को 16345 मतों से हराया। विक्रम सैनी को 100144 मत मिला जबकि राजपाल सैनी को 83975 मत और बसपा के करतार सिंह भड़ाना को सिर्फ 31269 वोट मिले।
अब फरीदाबाद में दोनों भाइयों की राजनीति के चर्चे हैं और कहा जा रहा है कि दल बदल-बदल कर दोनों भाइयों ने अपना राजनैतिक कद काफी कम कर लिया है। दोनों भड़ाना भाइयों ने इतनी बार दल बदला कि अब लोगों को याद भी नहीं है। चर्चे हैं कि अब जल्द राजनीति में दोनों भाइयों की वापसी संभव नहीं है ,खुद पर दल बदलू होने का ठप्पा लगा चुके हैं। दोनों भाइयों को कोई पार्टी नहीं सिर्फ कुर्सी प्यारी है। ये अगर कहीं से चुनाव हार जाते हैं तो विपक्ष में रहना इन्हे मंजूर नहीं। फटाफट दल बदल लेते हैं और जहाँ चुनाव होता है वहां किसी और पार्टी में शामिल होकर चुनाव लड़ लेते हैं। ये अब जनता के नेता नहीं रहे। अपना ही भला सोंचते हैं।
अगर इन दोनों भाइयों में से कोई फरीदाबाद में पांच वर्ष तक विपक्ष की भूमिका निभाता तो फरीदाबाद के ऐसे हालात न रहते और इन दोनों भाइयों को भी विधायक बनने के लिए न तरसना पड़ता। जनता होशियार है। अब चुनावों में खाती-पीती किसी और का और वोट किसी और को देती है। जेवर में अवतार भड़ाना के बारे में कई तरह की बातें कहीं गईं तो खतौली में करतार के बारे में भी। कहा गया ये दोनों भाई जन सेवक नहीं सत्ता के लोभी हैं और कई तरह की चुभने वाली बातें भी कहे गईं। अब आगे दोनों भाई क्या कदम उठाते हैं वक्त बताएगा, अब गुजरात जैसे राज्य में चुनाव होंगे क्या वहाँ से? किसी पार्टी से???
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