Faridabad- सरकार की वादाखिलाफी से खफा प्रदेशभर की आशा वर्कर 17 फरवरी को स्वास्थ्य मंत्री के अंबाला आवास पर प्रदर्शन करेंगी और वही से आगामी आंदोलन का ऐलान करेगी। मिशन निदेशक द्वारा एस्मा लगाने के जारी किए गए आदेशों से आक्रोश को दौगुना कर दिया है। इस प्रदर्शन में जिले से सैकड़ों की संख्या में आशा वर्कर भाग लेंगी। यह निर्णय बुधवार को आशा वर्कर यूनियन हरियाणा की जिला इकाई की बीके चौक स्थित यूनियन कार्यालय में आयोजित बैठक में लिया गया। जिसकी अध्यक्षता जिला प्रधान हेमलता की की और संचालन महासचिव सुधा ने किया। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा मानी हुई मांगों को लागू करने की बजाय एस्मा लगाने की घोर निन्दा की। उल्लेखनीय है कि आशा वर्करों के आंदोलन को देखते हुए हरियाणा सरकार ने 15 फरवरी देर शाम को एस्मा लगाने के आदेश जारी किए हैं। सीटू के जिला प्रधान निरंतर पराशर ने कहा कि एस्मा जैसे काले कानून का प्रयोग करने के उपरांत भी सरकार आंदोलन को दबा नहीं पाएंगी।
यूनियन की अध्यक्ष हेमलता एवं महासचिव सुधा ने संयुक्त रूप से बयान जारी करते हुए कहा कि आशा वर्कर्स मामूली प्रोत्साहन राशियों पर काम करने वाली स्वयंसेवी हैं ना कि सरकारी कर्मचारी हैं। मिशन निदेशक द्वारा जारी किए गए पत्र में 1974 के जिस कानून का हवाला दिया गया है वह सरकारी कर्मचारियों के लिए है ना कि स्वयंसेवी कार्यकर्ताओं के लिए। सरकार का यह दमनकारी रवैया केवल और केवल आशा वर्कर को डराने धमकाने और उनकी जायज मांगों के लिए उठाई जा रही आवाज को दबाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। आशा वर्कर्स के प्रति अपनाए जा रहे इस असंवेदनशील एवं दमनकारी रवैये का प्रदेश की आशा वर्कर्स मुंहतोड़ जवाब देंगी। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात करती है दूसरी तरफ स्वास्थ्य एवं पोषण की विभिन्न परियोजनाओं में देश और प्रदेश में बेटियों से बिना वेतन के काम ले रही है। देश प्रदेश की बेटियों के प्रति सरकार का यह रवैया बेहद निंदनीय है ।
कोविड महामारी में पूरे देश में और हरियाणा प्रदेश में आशा वर्कर्स ने अहम भूमिका निभाई हैl और आज भी टीकाकरण में सबसे अहम भूमिका आशा वर्कर्स निभा रही है और प्रदेश की सरकार एस्मा जैसी चिट्ठी जारी करके आशा वर्कर्स का अपमान कर रही है l जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा l एनएचएम कर्मचारी और आशा वर्कर्स के कार्य के दम पर ही स्वास्थ्य विभाग के मंत्री स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी जिला और पीएचसी सीएचसी स्तर के अधिकारी पूरी दुनिया में और देश में प्रशंसा पा रहे हैंl और वास्तव में काम करने वाली आशा वर्कर्स के साथ सरकार ने धोखा किया है। वर्ष 2019 में आशा वर्कर के मानदेय में कटौती की गई जिसके लिए उसी समय से आंदोलन जारी है हरियाणा के मुख्यमंत्री ने वर्ष 2020 में कटौती को बहाल करवाने की फाइलों को रिजेक्ट कर दिया था । प्रदेश की तमाम 20000 आशा वर्कर अपनी कटौती को बहाल करवाने के लिए संघर्ष कर रही है और एक बार फिर हरियाणा के मुख्यमंत्री की टेबल पर हरियाणा की आशा वर्कर्स की मानदेय कटौती को बहाल करवाने फाइलें पहुंची हुई है । और सरकार आशा वर्कर्स को धमका कर चुप करवाना चाहती है। एक तरफ हरियाणा के मुख्यमंत्री ने एनएचएम में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के वेतन को सातवें वेतन आयोग से जोड़ने की घोषणा की है आशा वर्कर्स भी एनएचएम का हिस्सा है जिसे मुख्यमंत्री जी ने अनदेखा किया है । 2018 के बाद आशा वर्कर के मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है । और इन 4 वर्षों में महंगाई दोगुनी हो गई है। और आशा के कार्य भी दोगुने हो गए हैं हरियाणा सरकार के इस तानाशाह रवैया को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा ।
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