हरियाणा सेवा आयोग की सचिव मीनाक्षी राज ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि एक पीड़ित विधवा के लंबित मामले का आयोग के हस्तक्षेप से समाधान किया गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि 1995 में मौतों से संबंधित रिकॉर्ड गुम हो गया और कुछ नष्ट हो गया था। वर्तमान में मुख्य आयुक्त एचआरटीएससी जो तत्कालीन डीसी भिवानी ने भी इस मामले में अपनी सहमति व्यक्त की थी। 1994 में हुई मौत के इस मामले में मृत्यु की जांच चिकित्सा अधिकारी महम डॉ आनंद प्रकाश द्वारा की गई थी, जिन्होंने मामले को दर्ज करने के लिए उप सिविल सर्जन, रोहतक को सिफारिश की थी। उन्होंने कहा कि जांच आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के बयानों पर आधारित थी, जिन्होंने मौत के संबंध में ग्रामीणों से पूछताछ करने पर पुष्टि की थी। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की रिपोर्ट व डॉ. आनंद प्रकाश द्वारा व्यक्ति की मृत्यु दर्ज करने की स्पष्ट सिफारिश के बावजूद नामित अधिकारी ने मामले को सहायक दस्तावेजों की कमी का हवाला देकर दावे को गलत तरीके से खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा कि मुख्य आयुक्त, एचआरटीएससी के समक्ष सुनवाई के दौरान भी मृतक की विधवा द्वारा की गई शिकायत के आधार पर सुओ मोटो नोटिस दिए जाने पर भी प्रतिवादी डॉक्टर मौत के सबूत के अभाव में अपनी दलीलें देता रहा। उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाने के बाद, उसका मृत्यु प्रमाण पत्र ही मृत्यु का एकमात्र प्रमाण होता है। आवेदक को वरिष्ठ नागरिक मानकर भी संबंधित प्राधिकारी मामले में सहयोग करने के लिए सहमत नहीं थे।
मीडिया से बातचीत करते हुए, मुख्य आयुक्त एचआरटीएससी, टीसी गुप्ता ने बताया कि यह उनके द्वारा देखा गया अब तक का बहुत संवेदनशील मामला था। जहां व्यवस्था इतनी उदासीन हो गई कि एक असहाय गरीब विधवा, जो पहले ही अपने पति को खो चुकी है, को मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए दर-दर भटकना पड़ा। संबंधित चिकित्सक अधिकारी द्वारा पूरी तरह से विवेक का प्रयोग न करने के गंभीर मामले में आयोग ने अधिकतम जुर्माना लगाने का निर्णय लिया। आयोग ने उप सिविल सर्जन रोहतक, डॉ केएल मलिक को 5000 रुपए शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में सीधे भुगतान करने का भी निर्देश दिया। श्री टीसी गुप्ता ने कहा कि आयोग किसी भी संबंधित अधिकारी को नहीं बख्शेगा जो आवेदक के बहुमूल्य समय का सम्मान नहीं करता और समय पर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि आयोग के सख्त रवैये के कारण अब सभी विभागों में सेवाओं के वितरण में तेजी आई है।
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