नई दिल्ली- लगभग 17 साल पहले राजीव वैद जी ने कहा था कि एक समय ऐसा भी आएगा कि सोशल मीडिया का ही वक्त होगा। 2004 के आस-पास की बात है, 2004 से 2012 यानि 8 सोशल मीडिया के क्षेत्र में मेरा कैसे बीता ये मैं ही जानता हूँ, लोग हँसते थे कि ये तो इंटरनेट पर खबर छापता है कौन पढता होगा लेकिन 2011 में अन्ना आंदोलन जो 16 अगस्त 2011 से 28 अगस्त 2011 तक चला था और इस आंदोलन को सफल बनाने में सोशल मीडिया का अहम् योगदान रहा था। पूरे देश में एक क्रांति फ़ैल गई। आंदोलन से निकले अरविन्द केजरीवाल अब भी दिल्ली के सीएम हैं और इसी आंदोलन के कारण 2014 में देश में भाजपा की सरकार बनी।
इस आंदोलन के बाद यानी 2012 तक सोशल मीडिया काफी मशहूर हो चुका था। उसके बाद से अब तक जो कुछ हो रहा है सब सोशल मीडिया पर ही हो रहा है। एक समय ऐसा था जब सोशल मीडिया पर खबर लिखने वालों को देख कुछ न्यूज़ पेपर वाले हँसते थे लेकिन एक समय ऐसा भी आया कि वो उन्ही से कुछ सीखने आने लगे जिन पर कभी हँसते थे। अधिकतर अख़बार बंद हो गए। साप्ताहिक अख़बार तो अब बहुत कम देखने को मिलते हैं। तमाम राष्ट्रीय अख़बार रोजाना वाले भी बंद हो गए और अधिकतर अख़बार वालों ने न्यूज़ पोर्टल बना लिया।
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