चंडीगढ़ - हरियाणा के जिन पांच जिलों में मिनी कर्फ्यू लगा है उन जिले के लाखों दुकानदार परेशान हैं। शाम पांच बजे बाजार बंद करने के आदेश हैं और पांच बजे जब दुकानदार बाजार बंद करते हैं तो वो छोटे दुकानदार अपने घर आंसू बहाते हुए जाते हैं जिनका काफी माल बच जाता है या जो किराए की दूकान में दूकान खोल रखे हैं। महामारी बढ़ने के कारण सरकार ने जो आदेश दिए हैं वो न दुकानदारों को भा रहा है न ही व्यापारी नेताओं को अच्छा लग रहा है क्यू कि दिन में बड़े नेताओं के कार्यक्रमों में सैकड़ों लोग बिना मास्क के घुमते अब भी दिख जाते हैं। यही नहीं इन जिलों के तमाम पुलिसकर्मी भी दुखी हैं। किसी को अपना दर्द चाहते हुए भी नहीं बता पा रहे हैं।
कई थाना क्षेत्रों में जनसँख्या के हिसाब से स्टाफ बहुत कम है। कई थाना क्षेत्रों का दायरा 10 किलोमीटर से भी ज्यादा है ऐसे में एक राइडर को शाम पांच बजे से रात्रि 10 बजे तक 10 किलोमीटर में 10 चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। कुछ पुलिसकर्मियों के सर्दी में पसीने छूट रहे हैं।
जिन थाना क्षेत्रों में कालोनिया अधिक हैं वहां की पुलिस बहुत परेशान हैं क्यू कि कालोनियों में छोटी दुकानें अधिक हैं और पुलिसकर्मी हर दुकानदार से बोल रहे हैं कि पांच बज गए हैं दुकानें बंद कर लें। अगर 10 किलोमीटर के दायरे में 1000 दुकानें हैं तो एक पुलिसकर्मी को 1000 लोगों से बोलना पड़ रहा है कि दूकान बंद कर लीजिये समय समाप्त हो गया है। ऐसा एक बार नहीं रात्रि 10 बजे तक कई बार चक्कर लगाकर बोलना पड़ रहा है क्यू कि कालोनियों के दुकानदार अब भी नहीं मान रहें हैं। इधर पुलिसकर्मी बोलकर आगे गए उधर शटर खोल लेते हैं। पुलिसकर्मियों की मजबूरी है कि उन्हें 10 किलोमीटर तक आगे भी बोलने जाना है इसलिए दुबारा चक्कर लगभग एक घंटे बाद लगेगा। दुकानदारों को भी पता है कि अब एक घंटे बाद ही राइडर की गाड़ी आएगी तब फिर कुछ मिनट के लिए शटर नीचे कर देंगे। दुकानें बंद कर लो, दुकानें बंद कर लो अगर एक पुलिसकर्मी पांच घंटे में पांच हजार ऐसा बोल रहा है तो जुबान सूखना लाजमी है। सर्दी में पसीना आना भी लाजमी है। आज कुछ पुलिसकर्मियों के पसीने निकलते हुए हमने देखा और जुबान सूखते हुए भी देखा। पूछने पर पता चला कि दौड़ भाग बहुत ज्यादा है। सरकार के आदेशों का पालन करवाना हमारी जिम्मेदारी है इस कारण हम सर्दी गर्मी नहीं देखते। दिन को दिन और रात को रात नहीं समझ रहे हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि रात्रि में जब रोटी का पहला टुकड़ा मुँह में डालते हैं तभी बीटी आ जाते है और भोजन की थाली छोड़ भागना पड़ता है। वापसी कई घंटे बाद होती है और फिर लाख पेट में चूहे कदमताल करते रहें। खाली पेट ही ड्यूटी करनी पड़ती है।
राइडर के साथ ड्यूटी कर रहे एसपीओ के एक जवान ने बताया कि मैंने कई वर्षों तक सेना में काम किया और यहाँ तक कि जहाँ का तापमान इन दिनों माइनस 20 डिग्री है वहां भी काम किया लेकिन सर्दी में ऐसा पसीना वहां भी नहीं आया। जवान का कहना था कि वहां देश के सुरक्षा करता था और यहाँ जनता की करता हूँ और करता भी रहूंगा। हमें भूखे प्यासे रहकर देश की सेवा करना आता है और देश की सेवा, देश की जनता की सुरक्षा करना हमारा कर्तव्य है और हम अपना कर्तव्य पहले भी निभाते थे अब भी निभा रहे हैं। कई अन्य बातें भी सामने आईं। देखकर लगा कि सच में बहुत मेहनत कर रही है पुलिस इस महामारी के दौरान लोगों को बचाने में।
Post A Comment:
0 comments: