कुरूक्षेत्र राकेश शर्मा- हरियाणा मेंं पंचायत चुनाव मे हो रही देरी के कारण गांव की चौधर पर काबिज होने वाले प्रत्याशियों का अब धीरे धीरे चौधर से मोह भंग होने लगा है तो वही चौपाल में हुक्का गुडग़ुड़ाते हुए बर्जुग भी गांव में होने वाले सरंपच चुनाव को लेकर कोई चर्चा नही करते । गांव में चौपाल का अपना ही अलग महत्व है भले ही अब इसमें बर्जूर्गो की सख्यां कम होती जा रही है लेकिन चुनावों के दौरान फिर से सजने लगती है ये चौपाले।
प्रदेश में पंचयाती चुनाव अपने आप में अहम् माना जाता है जिसमें हर कोई अपनी अपनी भागीदारी निभाता है कोई वोट को जोड़ता है तो कोई किसी वोट बैंक में सेंध लगाकार तोड़ता है सरंपच का चुनाव किसी चाणक्य नीति से कम नही आकां जा सकता क्योंकि इन चुनावों में हर दाव पेंच का इस्तेमाल किया जाता है ओर बड़ बड़े धुरंधरों को मात दी जाती है। ओर यही कारण है कि इन चुनावोंं में सत्ता पक्ष ओर विपक्षी राजनीतिक दलों की पूरी नजर भी रहती है ओर भी अपना अपना योगदान इन चुनावों में देने से नही चुकते क्योंकि छोटी सरकार का बड़ी सरकार पर भी पड़ता है। सरपंच का चुनाव चौधर ओर रूआब का चुनाव माना जाता है।
जिला परिषद, ब्लॉक समिति, सरपंच व पंच का चुनावों में हो रही देरी के कारण प्रत्याशियों के चहेरे पर मायूसी छाई हुई है आलम् ये है कि जो प्रत्याशी चुनावों में अपनी किस्मत अजमाना चाहते है वो भी दुरी बना रहे है क्योकि प्रदेश में पिछला चुनाव लगभग 23 फरवरी को पूरा हो चूका है जोकि अब तक 11 महीनें का समय बीत चुका है। लेकिन चौधर की जंग का बिगुल हरियाणा में अभी बजता हुआ दिखाई नही दे रहा है। जब भी चुनावों की सुगबुहाट सुनाई देती है तो प्रत्याशी अपनी कमर कस लेते है ओर फिर जनता के बीच में जनसंवाद करना शुरू कर देते है लेकिन हर बार मायूसी ही हाथ लग रही है। पचंयात चुनावों में प्रत्याशी वैसे तो काफी समय से तैयारी करते है ओर अपने दांव पेंच लगाने शुरू कर देते है लेकिन इस बार दिखाई नही दे रहा है। जिला परिषद की तैयारी कर रहे प्रत्याशी भी अपने अपने क्षेत्र में चुनावी प्रचार कर चुके है कई जगहों पर हार्डिगों के जरिए संदेश भी दे चुके है लेकिन फिर चुप बैठ जाते है। चुनाव तो चुनाव है लेकिन पंचायत चुनाव में सरंपच का चुनाव तो चौधर ओर रूआब का चुनाव है जिसको पाने में हो रही देरी के कारण माहौल बनता दिखाई नही दे ,चौपाल सज नही रही, बिसाते बिछ नही रही जिसका कारण है चुनाव में हर बार तारीख पर तारीख---
प्रदेश में कुल 22 जिलों में 6311 ग्राम पंचयाते है ओर 23 फरवरी से जिला परिषद, ब्लॉक समिति , ग्राम पंचायत का कार्यकाल समाप्त हो गया था। प्रशासक नियुक्त कर उनके द्वारा विकास कार्यो ओर अन्य कार्यो को करवाने के लिए अनुमति प्रदान की गर्ई जिसको लेकर इसका विरोध भी किया गया। प्रदेश में किसान आंदोलन ओर करोना की वजह से भी चुनाव लटकता हुआ चला गया। लेकिन अब किसान आंदोलन भी समाप्त हो गया ओर कोरोना महामाही का प्रकोप भी कम हो गया जिसको लेकर कयाश लगाये जा रहे है कि जल्द ही हरियाणा में पचंयात चुनावों का बिगुल बजने वाला है। प्रदेश की जनता को सबसे ज्यादा इंतजार 8 फरवरी 2022 का जब कोई नतीजा निकेलगा।
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