फरीदाबाद.अक्सर हम लोग प्लास्टिक वेस्ट बॉटल, पन्नियां, डिब्बे आदि को कचरा समझकर फेंक देते हैं, लेकिन क्या आप जानते है कि उसी प्लास्टिक के कचरे से हमारी जरूरत की बहुत सी चीजें भी बनाई जा सकती हैं। वह भी एकदम इकोफ्रेंडली तरीके से। इस परिकल्पना को भंदवाड़ी स्थित कचरा संग्रहण स्थल पर चंडीगढ़ के चार यंगस्टर्स कचरा निस्तारण कार्य कर रही पीपल एसोसिएशन फॉर टोटल हेल्प एंड यूथ एप्लाज (पाथेया) एजेंसी के साथ मिलकर साकार करने जा रहे हैं। आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है, लेकिन यह सच्ची बात है। गौरतलब है कि भंदवाड़ी डंपिंग साइट पर फरीदाबाद व गुरुग्राम नगर निगम क्षेत्र से एकत्र होने वाले कचरे का भंडारण व निस्तारण किया जा रहा है.
चंडीगढ़ के रहने वाले ये चारों दोस्त कचरा निस्तारण स्थल से ऐसी ही एक शुरुआत करने जा रहे हैं और परीक्षण सफल रहने के बाद इसी सप्ताह यहाँ संयंत्र स्थापित कर रहे हैं। यंगस्टर्स प्लास्टिक वेस्ट को पुनः इस्तेमाल लायक बनाकर ऐसी कंपनियों को दे रहे हैं जो इससे प्लास्टिक दाना, फर्नीचर और होम डेकोरेशन के सामान तैयार कर रहे हैं, इससे पहले इसका निस्तारण गंभीर चुनौती व समस्या थी.
समस्या बन चुके सिंगल यूज प्लास्टिक को पुनः उपयोग योग्य बनाने वाले 22 वर्षीय मोहित चौहान बीटेक मेकेनिकल इंजीनियरिंग, 25 वर्षीय अंकुर सिंगला एमबीए, 22 वर्षीय तरुण राज मेकाट्रोनिक्स एंड इंडस्ट्रियल आटोमेशन में डिप्लोमा व 21 वर्षीय हरीश ठाकुर मेकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं।
कचरा निस्तारण कार्य कर रही कंपनी पाथेया के शीशपाल राणा ने बताया कि आधुनिक मशीन द्वारा हम कचरे से कंपोस्ट तैयार कर रहे हैं, वहीं अब सिंगल यूज प्लास्टिक के पुनः उपयोग की दिशा में कदम बढ़ाया है, जिसे इन चारों यंगस्टर्स ने गति दी है। इस परिकल्पना को साकार करने के लिए संयंत्र बनकर तैयार हो गया है, जो आगामी चंद दिनों में साइट पर स्थापित हो जाएगा। दावा है कि पूरा प्रदेश इसका अनुसरण करेगा, क्योंकि सिंगल यूज प्लास्टिक बड़ी गंभीर समस्या है और अभी तक इसका समाधान कोई खोज नहीं पाया है।
कई बार असफल हुए, पर हिम्मत नहीं हारी
शीशपाल राणा ने बताया कि इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाने के लिए वे इन यंगस्टर्स के साथ कई माह से कार्य कर रहे थे। जरूरतानुसार मशीनें खरीदीं व बनवाईं, पर सफलता नहीं मिली। लाखों की मशीनें कबाड़ हो गईं, पर हिम्मत नहीं हारी और वह दिन भी आ गया जब मशीनों ने परिकल्पनानुसार परिणाम देना शुरू कर दिया।
मोहित चौहान, अंकुर सिंगला, तनुज राज व हरीश ठाकुर बताते हैं कि हमने नालियों, गलियों, चौक चौराहों व सड़कों पर बिखरे सिंगल यूज प्लास्टिक को पड़े देखा तो समस्या पर रुटीन बातचीत की, जिसने एक रिसर्च का रूप ले लिया और हमने मिलकर इसके निस्तारण पर काम शुरू कर दिया। हरियाणा, पंजाब, हिमाचल व उत्तराखण्ड की दर्जनों नगर निगमों में अधिकारियों से बातचीत की, लेकिन कोई भी इस समस्या का समाधान नहीं बता सका। इसी दौरान कचरा निस्तारण कार्य करने वाली कंपनी पाथेया के शीशपाल राणा से मुलाकात हुई और उन्होंने इसे भविष्य बताते हुए हौसलाफजाई की व मशीनों का निर्माण शुरू करा दिया। बार-बार प्रयोग व प्रयास के बाद सफलता मिल गई। अब अन्य जिलों से भी अधिकारी हमारा स्टार्ट-अप देखने साइट्स फर आने लगे हैं।
बड़ी समस्या
यंगस्टर्स बताते हैं कि प्लास्टिक वेस्ट हम सबके लिए बड़ी चुनौती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल 150 लाख टन प्लास्टिक वेस्ट निकलता है। इसका ज्यादातर हिस्सा समुद्र में बहा दिया जाता है। बहुत कम स्केल पर ही प्लास्टिक को डिकम्पोज या रिसाइकिल किया जाता है यानि फिर से इस्तेमाल में लाया जाता है। हालांकि पिछले कुछ सालों में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट को लेकर जागरूकता थोड़ी बढ़ी है। प्लास्टिक वेस्ट कलेक्ट करने के बाद उसे हम अलग-अलग कैटेगरी में बांट लेते हैं। फिर उसे एक फिक्स टेम्परेचर पर गर्म किया जाता है। इससे प्लास्टिक वेस्ट पिघल जाता है। इसके बाद हम एक केमिकल उसमें मिलाते हैं। और प्रोसेसिंग के बाद शीट तैयार करते हैं। इस शीट को क्वालिटी टेस्टिंग के बाद प्रोटोटाइप पर फिट किया जाता है। फिर उससे फर्नीचर और बाकी प्रोडक्ट बनाए जाते हैं।
इस प्लास्टिक से फिलहाल ऑफिस के इस्तेमाल से लेकर होम डेकोरेशन के एक दर्जन से ज्यादा आइटम्स बनाने शुरू कर दिए हैं।
मार्केटिंग के लिए सोशल मीडिया, रिटेलरशिप और वर्ड ऑफ माउथ का इस्तेमाल कर रहे हैं। जल्द ही वे अमेजन और फ्लिपकार्ट पर भी अपने प्रोडक्ट की मार्केटिंग करेंगे। फर्नीचर बनाने वाली कई होलसेल दुकानों से भी उनका टाइअप है।
जनसहयोग की अपील
शीशपाल राणा ने कचरे के पहाड़ को जल्द समाप्त करने के लिए स्थानीय रहवासियों से जनसहयोग व जनभागीदारी की अपील की है. उन्होंने कहा कि नगर निगम इस दिशा में गंभीर है व कचरे के पहाड़ को जल्द से जल्द समाप्त करने के लिए उच्च गुणवत्ता युक्त विश्वस्तरीय मशीनों की स्थापना की गई है. स्थल पूरी तरह से कचरे से भरा होने के कारण कार्य करने में असुविधा हो रही है, लेकिन जल्द ही इससे पार पा लिया जाएगा.
यह कहना सही नहीं है कि सैद्धांतिक रूप से बहुस्तरीय प्लास्टिक या पाउच को रीसाइकल नहीं किया जा सकता है। उन्हें सीमेंट संयंत्रों में भेजा जा सकता है या सड़क निर्माण में उपयोग किया जा सकता है। लेकिन हर कोई जानता है कि इन खाली, गंदे पैकेजों को पहले अलग करना, इकट्ठा करना और फिर परिवहन करना लगभग असंभव है, लेकिन अब समस्या समाप्त होकर सुंदर उत्पादों का रूप लेने वाली है.
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