विद्रोही ने कहा कि एक पखवाड़े पूर्व मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने हरियाणा विधानसभा सदन में खुद अपनी ईमानदारी के गीत गाकर अपने मुंह मियां मि_ू बने थे। वहीं नववर्ष की पूर्व संध्या पर टवीट करके दावा किया था कि सिस्टम में भ्रष्टाचार को खत्म करने की इच्छा शक्ति चाहिए जो उनमें है और वे भ्रष्टाचार खत्म कर रहे है। मुख्यमंत्री के टवीट की गूंज खत्म भी नही हुई थी कि डाडाम माईन में पहाड खिसकाकर प्रकृति ने खट्टर जी के बडबौलों की पेाल खोलकर उन्हे आईना दिखा दिया कि उनकी सरकार भ्रष्टाचारियोंं, खनन माफिया की कितनी सरंक्षक हैै। स्थानीय कांग्रेस विधायक किरण चौधरी व स्थानीय भाजपा सांसद धर्मबीर सिंह डाडम पहाड में अवैध खनन की जांच की माग कई बार करके कह चुके कि अवैध खनन माफिया को उच्च सत्ताधारियों का सरंक्षण है, पर खट्टर जी के कान पर जूं तक नही रेंगी।
विद्रोही ने कहा कि डाडम में खनन माफिया पहाडों में सभी खनन नियमों को तांक पर रखकर जमीन को 600 से 900 फुट नीचे धडल्ले से अवैध खनन कर रहे थे, पर सरकार में बैठे संघीयों को इस अवैध खनन माफिया को सत्ता सरंक्षण मिलने के कारण यह आज भी जारी है। अब पहाड खिसकने से मजदूरों की मौत व कई वाहनों के पत्थरों में दबने के बाद अवैध खनन का काला चेहरा फिर पूरे प्रदेश व देश के सामन आ गया है। विद्रोही ने खनन माफिया को सरंक्षण देकर स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त सत्ताधारी संघीयों से निष्पक्ष-स्वतंत्र जांच की आशा बेमानी है। ऐसी स्थिति में अवैध खनन के माध्यम से डाडम-खानक पहाड़ क्षेत्रों में हो रही अरबो रूपये की लूट व नववर्ष की रात्रि को पहाड खिसकने की दुर्घटना की प्रमाणिक जांच पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की निगरानी में होने से ही असली दोषियों को बेनकाब करके दंडित करना संभव है।
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