फरीदाबाद- हाल के दो-तीन दिनों से फरीदाबाद में सर्दी कुछ कम हुई है लेकिन सर्दी से ज्यादा राहत फिलहाल नहीं मिलेगी। शहर का मौसम अब किसी भी समय बदल सकता है और बारिश शुरू हो सकती है। मौसम विभाग की मानें तो कल और परसों यानि रविवार तक फरीदाबाद का मौसम ठीक नहीं रहेगा, बारिश की संभावना है।
शहर के लोग भीषण गर्मी झेल लेते हैं लेकिन बारिश नहीं झेल पाते क्यू कि शहर की 73 फीसदी सड़कें बारिश के बाद चलने लायक नहीं रहतीं। तेज बारिश हुई तो सड़कें तालाब बन जाती हैं, हल्की हुई तो सड़कों पर कीचड ही कीचड दिखता है। तमाम सड़कों पर जानलेवा गड्ढे हैं। अपने इतिहास में फरीदाबाद का हाल पहली बार इतना बेहाल हुआ है। फरीदाबाद की बात करें तो फरीदाबाद शहर की स्थापना 1607 शेख फरीद ने की थी, जिसे बाबा फरीद के नाम से भी जाना जाता है। बाबा फरीद एक प्रसिद्ध सूफी संत थे और मुगल बादशाह जहाँगीर के कोषाध्यक्ष भी थे। शहर की स्थापना ग्रान्ड ट्रंक रोड (सडक ए आज़म) की सुरक्षा के लिए की गई थी। बाद में इसे फरीदाबाद परगना के मुख्यालय के रूप में घोषित किया गया, जो बल्लभगढ़ के शासन के अधीन था। औरंगजेब की मृत्यु के बाद तेवतिया जाट सरदार गोपाल सिंह ने शहर पर हमला किया।
उन्होंने फरीदाबाद के मुगल अधिकारी मुर्तिजा खान के साथ एक संधि की और परगना के चौधरी बन गए। मुगलों के शासन के बाद, इसे अंग्रेजों ने अपने कब्जे में ले लिया था। 1950 में, भारत के विभाजन के बाद, पाकिस्तान से आए शरणार्थियों का एक बड़ा समूह यहाँ आ कर बस गया। उनके पुनर्वास के लिए उद्योग स्थापित किए गए थे। बाद में, विभिन्न समुदायों, क्षेत्रों और धर्मों के लोग भी फरीदाबाद में आकर बस गए। शुरू में यह गुड़गांव जिले का एक हिस्सा था। 15 अगस्त 1979 को, फरीदाबाद को एक अलग जिले के रूप में स्थापित किया गया था। कई वर्षों तक फरीदाबाद एशिया का सबसे बड़ा उद्योग शहर के रूप में दुनिया भर में जाना जाता था , देश के हर राज्य के लोग इस जिले में आने और रहने को बेताब रहते थे लेकिन लगभग दो दशकों से ये शहर बेहाल होता चला गया और अब तक सिलसिला जारी है। तमाम उद्योग यहाँ से पलायन कर गए या बंद हो गए। कई उद्योग क्षेत्रों की सड़कें बहुत बदहाल अब भी हैं, उद्योगों में माल लाने वाली ट्रकें सड़कों पर चल नहीं पाती हैं। फिलहाल जिले का हाल बेहाल है। अगर बारिश हुई तो हाल और बेहाल हो जाएगा।
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