नई दिल्ली/ फरीदाबाद - समय बदलता जा रहा है। चुनावों के समय अब देखा जा रहा है कि जनता नेताओं की दारू पी जाती है। अन्य उपहार भी लेकर डकार जाती है लेकिन वोट जिन्हे देना होता है उन्हें ही देती है। नेताओं के छल कपट में बहुत कम लोग आते हैं। एक समय था जब फरीदाबाद की जनता ने अवतार सिंह भड़ाना को तीन बार सांसद चुना और एक समय ऐसा भी आया कि दो लोकसभा चुनावों में लगातार अवतार भड़ाना की हार हुई। फरीदाबाद में कई ऐसे उदाहरण देखे गए हैं जब कोई हारा हुआ नेता पूरे पांच वर्ष तक जनता के बीच में होता है और विपक्ष की अच्छी भूमिका निभाता है तो उसे अगले चुनावों में जीत भी मिली है। 2014 की हार के बाद अवतार सिंह भड़ाना विपक्ष की अच्छी भूमिका निभाते नहीं देखे गए और आज शायद उनकी दुर्गति की वजह यही है कि अधिकतर लोग उनकी राजनीति पर सवाल उठा रहे हैं।
2014 की हार वो दो महीने भी नहीं पचा पाए और अगस्त 2014 में ही उन्होंने चश्मा पहन लिया यानि में शामिल हो गए थे। उसी साल हरियाणा में विधानसभा के चुनाव हुए। इनेलो को बड़ी सफलता नहीं मिली। भाजपा की सरकार बनी। अवतार सिंह भड़ाना के हाथ खाली रहे इसके बाद कुछ समय तक वो राजनीति से दूर रहे और 2016 में इनेलो छोड़ भाजपा में शामिल हुए और भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य बने। भाजपा ने 2017 में अवतार भड़ाना को उत्तर प्रदेश के मीरापुर विधानसभा क्षेत्र मैदान में उतारा और भाजपा की टिकट पर विधायक बने, जीत का आंकड़ा बहुत कम था। मीरापुर के विधायक रहते हुए भी उनकी निगाह फरीदाबाद लोकसभा सीट पर रही और इस दौरान अनंगपुर फरीदाबाद स्थित उनके घर के बाहर भाजपा विधायक यूपी का बोर्ड लगा था जबकि फरीदाबाद सूरजकुंड रोड पर अनंगपुर गांव के प्रवेश द्वार पर उनकी तस्वीरें सोनिया, राहुल के साथ थीं यानि दो पार्टियों में एक साथ थे।
2019 लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस ने विधायक ललित नागर को टिकट दिया लेकिन जल्द उनकी टिकट कट गई और अवतार सिंह भड़ाना के हाथ में आ गई। भड़ाना चुनाव लड़े। दुबारा कृष्णपाल गुर्जर से हारे और इस जीत में कृषपाल गुर्जर ने जीत का रिकार्ड बनाया। हार के बाद भी भड़ाना देश की दोनों बड़ी पार्टियों में रहे। उनके घर पर भाजपा और अनंगपुर प्रवेश द्वार पर कांग्रेस? इसके बाद किसान आंदोलन में वो किसानों के साथ दिखे। इसी दौरान महामारी का दूसरा चरण शुरू हुआ तो वो कई महीने तक फरीदाबाद में दिखे ही नहीं। इस दौरान फरीदाबाद की जनता को मदद की जरूरत थी। तमाम कांग्रेसी नेता जनता की मदद करते दिखे भी। इसी दौरान टीम दीपेंद्र हुड्डा की तरफ से नितिन सिंगला जैसे युवाओं ने समाजसेवा की मिशाल पेश की लेकिन भड़ाना न खुद दिखे न उनका कोई समर्थक किसी की मदद करते दिखा।
लगभग एक माह पहले अपने आवास अनंगपुर में उन्होने एक प्रेस वार्ता को सम्बोधित किया और फरीदाबाद के एक पत्रकार ने पूंछ लिया कि भड़ाना साहब आप रहते कहाँ हो तो वो पत्रकार पर ही सवाल उठाने लगे जबकि सच्चाई ये थी कि वो कई-कई महीने फरीदाबाद से दूर रहे। जनता के सुख-दुःख में कभी जनता के साथ नहीं दिखे। हाल में अचानक उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल ज्वाइन कर सबको चौंका दिया और जेवर से उन्हें टिकट भी मिल गई। उस दिन से ज्यादा लोग आज चौंक पड़े जब पता चला कि उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल को झटका दे दिया है और नामांकन वापस ले लिया है। उनके वकील ने बताया कि उन्हें कोरोना हो गया है। वो अब चुनाव नहीं लड़ेंगे। वो जनता की जान को जोखिम नहीं डाल सकते। वो 10 दिनों तक आइसोलेशन में रहेंगे। वैसे जब उनके वकील ने ऐसा बताया उसके दो घंटे पहले अवतार सिंह भड़ाना ने ट्विटर पर ये पोस्ट की थी। ये आज के कार्यक्रम का वीडियो बताया जा रहा है। देखें खबर जारी है।
अन्याय पर होगा प्रहार,जेवर में अवतार...#मैं_भी_अवतार#जेवर_विधानसभा#2022_में_नल_फाइनल#SaveGurjarHistory_FromBJP pic.twitter.com/1H7irsEBb1— Avtar Singh Bhadana (@AvtarBhadanaMP) January 20, 2022
उनके नामांकन वापस लेने के बाद सोशल मीडिया पर अफवाह उड़ी कि अवतार सिंह भड़ाना बसपा के सम्पर्क में हैं ! अभी तक इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है। उनके भाई करतार सिंह भड़ाना भी भाजपा में थे और अचानक भाजपा छोड़ बसपा में शामिल होकर खतौली से टिकट ले आये जबकि यहाँ बसपा ने एक खान साहब को टिकट दे दिया था। कहा जा रहा है कि करतार सिंह भड़ाना पहले भी बसपा के एक नहीं कई टिकट ला चुके हैं। हरियाणा के कई विधानसभा क्षेत्रों के लिए, हो सकता है इस बार खुद के अलांवा अपने भाई के लिए भी?
अवतार भड़ाना जो भी कदम उठा रहे हैं उससे वो खुश होंगे लेकिन फरीदाबाद में उनके समर्थक बहुत दुखी हैं। उनके बार-बार दाल बदलने से आहत हैं। उनके समर्थक सोशल मीडिया पर उनके किरकिरी होते देख दुखी हैं।
अवतार भड़ाना और उनके भाई करतार भड़ाना के इन क़दमों से अगर कोई खुश है तो वो फरीदाबाद के ही कुछ कांग्रेसी नेता हैं। उन्हें लग रहा है कि अब राह का कांटा निकल चुका है। अगले लोकसभा चुनावों में हमारी राह आसान है। अब अवतार भड़ाना हेलीकाफ्टर से उड़कर कांग्रेस की टिकट किसी से भी नहीं छीन पाएंगे जैसे पिछली बार ललित नागर से छीनी गई थी।
फरीदाबाद के सत्तापक्ष के लोकसभा स्तर के नेता भी दोनों भाइयों के क़दमों से खुश हैं। दोनों भाइयों की पीठ पर अब दल बदलू का ठप्पा लग चुका है। फरीदाबाद में वर्तमान में कोई विपक्ष नहीं है। अवतार के बड़े भाई करतार सिंह भड़ाना भी कई दल बदल चुके हैं। विपक्ष न होने से सत्ताधारी नंगा नाच रहे हैं। शहर के 30 लाख से ज्यादा लोग दुखी हैं। फरीदाबाद कभी एशिया का सबसे अच्छा शहर था अब नरक कहा जाता है। दो महीने से निगम कमिश्नर यशपाल यादव ने शहर की हालत कभी हद तक ठीक करवाया वरना शहर के लोग खुद को नरकवासी कहने लगे थे। पांच वर्ष विपक्ष की भूमिका न निभा पाने के कारण अवतार सिंह भड़ाना के अब वो सपना शायद ही कभी पूरा हो,
देश का गृह मंत्री बनना उनका सबसे बड़ा सपना था। उन्होंने कई बार मीडिया के सामने इस सपने का जिक्र किया था लेकिन दल, बदल -बदल उन्होंने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली। लगता नहीं कि अब उनका ये सपना कभी पूरा होगा।
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