7 दिसम्बर 2021- हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों में शिक्षकों व कर्मचारियों की भर्ती के लिए औपचारिक रूप से नियमों में परिवर्तन करके विश्वविद्यालयों से भर्ती का अधिकार छीनने के कदम की स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने कठोर आलोचना करते हुए इसे विश्वविद्यालयों की स्वायता पर हमला बताया। विद्रोही ने कहा कि हरियाणा सरकार ने विगत सात सालों में बड़े सुनियोजित ढंग से प्रदेश के सभी सरकारी विश्वविद्यालयों में पहले संघीयों को उपकुलपति बनाया और जहां तक संभव था, चुन-चुनकर संघीयों को महत्वपूर्ण पदों पर सत्ता दुरूपयोग से बैठाकर विश्वविद्यालयों के संघीकरण का कुप्रयास किया। अब विश्वविद्यालयों की स्वायता पर हमला करते हुए इनसे शिक्षकों व कर्मचारियों की भर्ती का अधिकार भी छीन लिया। भाजपा खट्टर सरकार ने विश्वविद्यालय एक्ट के नियमों में संशोधन की विधिवत सूचना जारी करके गु्रप सी व डी की भर्तीयों का अधिकार हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को व प्रथम और द्वितीय श्रेणी की नौकरियों की नियुक्ति का अधिकार हरियाणा लोकसेवा आयोग को सौंप दिया।
विद्रोही ने कहा कि सरकार का यह अलोतांत्रिक कदम विश्वविद्यालयों की स्वायता पर हमला है। विश्वविद्यालयों से शिक्षकों व कर्मचारियों की भर्ती का अधिकार छीनकर हरियाणा भाजपा-संघी सरकार ने सत्ता दुरूपयोग से इनमें संघी पृष्ठभूमि के शिक्षकों व कर्मचारियों को भर्ती करने का एकतरफा अधिकार ले लिया है। सरकार के इस कदम से विश्वविद्यालयों पर संघीयों का पूर्णतया कब्जा हो जायेगा और विश्वविद्यालयों में स्वतंत्र, निष्पक्ष विचार को पनपने से रोककर केवल एकतरफा संघी मनुवादी हिन्दुत्व की विचारधारा पनपाकर युवाओं के हदय को साम्प्रदायिक, उन्मादी बनाने के एजेंडे को बढ़ाने का कुप्रयास होगा। विद्रोही ने कहा कि राष्ट्र निर्माताओं ने विश्वविद्यालयों को पूर्ण स्वायता देकर इन्हे ज्ञान का ऐसा मंदिर बनाया था जहां युवा स्वतंत्र व निष्पक्षता से अपने विचार व्यक्त कर सके। नई खोज कर सके और विश्वविद्यालयों के कर्मचारी व शिक्षक भी बिना किसी दबाव युवाओं को निष्पक्षता व स्वतंत्रता से आगे बढऩे में सहायक की भूमिका निभा सके। लेकिन भाजपा सरकार स्वतंत्र व निष्पक्ष विचारों पर अंकुश लगाकर केवल संघी विचारधारा को आगे बढ़ाना चाहती है और विश्वविद्यालयों से कर्मचारियों व शिक्षकों की भर्ती का अधिकार छीनना उसी एजेंडे को आगे बढाने का एक कदम है।
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