चंडीगढ़ - वक्त बदलता रहता है और अभी हाल तक रेवाड़ी के जेल अधीक्षक अनिल कुमार जांगड़ा का काफी बोलबाला था लेकिन अब चोरों की तरफ फरार है। नारनौल जेल में एक लाख रूपये की रिश्वत के मामले में आज सुबह गुरुग्राम विजिलेंस ब्यूरो ने उनके घर पर छापा मारा। कई घंटे तक घर का गेट नहीं खोला गया। लगभग पांच घंटे बात जब गेट खोला गया तो विजिलेंस की टीम ने पूरा घर खंगाला। घर के चप्पे-चप्पे की जांच की गई लेकिन जेल अधीक्षक अनिल घर में नहीं मिले। बताया गया कि कल रात्रि लगभग दस बजे वो घर छोड़ चुके थे। अनिल पर आरोप है कि उन्होंने राजस्थान और हरियाणा के गैंगेस्टर पपला गुर्जर के खास गुर्गे संदीप उर्फ़ सिंधिया के भाई हंशराज से रिश्वत ली थी। अनिल कुमार जांगड़ा रेवाड़ी के जेल अधीक्षक हैं और नारनौल जेल का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे थे। इस मामले में विजिलेंस की टीम ने वार्डन गजे सिंह को गिरफ्तार किया था जिसने पूंछतांछ में सब कुछ उगल दिया और जेल अधीक्षक अनिल जांगड़ा लपेटे में आ गए।
विजिलेंस टीम के इंचार्ज इंस्पेक्टर अजीत सिंह का कहना है कि जेल अधीक्षक अनिल कुमार जांगड़ा का नाम रिश्वत कांड में सामने आया था। इसलिए उन्हें जांच में शामिल करना था। पता चला है कि रात 10:00 बजे ही वह घर से निकल गए थे। अब उनकी तलाश में अन्य जगह छापामारी की जाएगी। जेल रिश्वत कांड में 9 दिसंबर को 7 पीसी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसी मामले में जेल सुपरिंटेंडेंट अनिल कुमार और डिप्टी सुपरिंटेंडेंट कुलदीप हुड्डा का नाम आया था।
अनिल कुमार जांगड़ा पहले भी विवादों में रह चुके हैं। फरीदाबाद की जेल में तैनाती के दौरान पर उगाही के आरोप लग चुके हैं। 2014 में वेदप्रकाश चंदीला नामक व्यक्ति उन पर आरोप लगाया था और गोल्फ क्लब में एक प्रेस वार्ता सम्बोधित कर कहा था कि उसके बेटे से मोबाइल पर बात कराई तो उसने कहा कि जेल में उसे अधिकारी प्रताड़ित कर रुपये मांगते हैं। इस पर उन्होंने वेद चंदीला के माध्यम से धीरे-धीरे करीब 14 लाख रुपये दिए थे।
यही नहीं मई 2018 में एक बड़ा मामला हरियाणा में सुर्ख़ियों में रहा था। पलवल और फरीदाबाद में ये मामला सामने आया था जहां एक जेल अधीक्षक अपने मातहत कर्मचारियों से नकली अंगूठे से बायोमिट्रिक हाजिरी लगवाकर प्रॉपर्टी के बिजनेस में लगा रहा था । मुख्यमंत्री उड़नदस्ते ने जांच में उक्त अधिकारी को फर्जीवाड़े का दोषी करार देते हुए कार्रवाई की सिफारिश की थी। फरीदाबाद में तैनात जेल अधीक्षक स्तर के अधिकारी के बारे में शिकायत मिली थी कि वह नकली अंगूठे से बायोमिट्रिक हाजिरी लगा रहे हैं। इस पर गुरुग्राम स्थित मुख्यमंत्री के उड़नदस्ते के एसपी को जांच के आदेश दिए गए थे।
उड़नदस्ते के निरीक्षक बिजेंद्र सिंह ने जांच रिपोर्ट में कहा था कि आरोपित अधिकारी पहले जिला कारागार पलवल में तैनात था। उसके पास बीएसएनएल का नंबर है। एक जनवरी से 30 अप्रैल 2017 तक का रिकार्ड निकलवाने पर पता चला कि आरोपित जेल अधीक्षक ने यह फोन नंबर अपने रिश्तेदार व करनाल स्थित जनस्वास्थ्य विभाग में कार्यकारी अभियंता के नाम पर लिया हुआ है।
जिस समय बायोमिट्रिक से हाजरी लगाई गई उस समय इस नंबर की लोकेशन पलवल जेल के बजाय उक्त अधिकारी के निवास या अन्य स्थान पर मिली। जांच में खुलासा हुआ कि जेल अधीक्षक ने अपने अंगूठे की नकल तैयार करा रखी है, जिससे जेल कर्मचारी ही उनकी हाजिरी लगा देते थे। इसी बीच, आरोपित जेल अधीक्षक का तबादला पलवल से फरीदाबाद हो गया। जांच अधिकारी ने तमाम सबूतों के आधार पर उक्त अधिकारी के खिलाफ हरियाणा सिविल सर्विस सेवाएं दंड एवं अपील के नियम सात के तहत विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की थी।
मुख्यमंत्री उड़नदस्ते ने पलवल में जेल अधीक्षक के विरुद्ध जांच कर जनवरी में अपनी रिपोर्ट दे दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जेल अधीक्षक के एक वरिष्ठ नेता के साथ करीबी संबंध होने के कारण जांच रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इसी तरह अवैध संपत्ति अर्जित करने के मामले की जांच भी ठंडे बस्ते में चली गई है। ये आरोप अनिल कुमार पर ही लगा था लेकिन राजनीतिक लोगों ने बचा लिया था।
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