फरीदाबाद- फेरस का मामला अब और तूल पकड़ता जा रहा है। मंगलवार शाम हाईकोर्ट की टीम ने मौके पर जाकर जो नोटिस चिपकाया था उसे बिल्डरों फड़वा दिया है जिसके बाद फेरस के निवेशकों ने इसकी हाईकोर्ट तक पहुंचा दी है और जल्द हाईकोर्ट नोटिस फाड़ने वालों का कड़ी कार्यवाही का आदेश दे सकता है। हाईकोर्ट के अधिकारी नोटिस फाड़ने वालों पर मामला दर्ज करवाने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसा निवेशकों का कहना है।
मालुम हो कि मंगलवार शाम हाईकोर्ट ने जो नोटिस चिपकाया था उसमे लिखा था कि इस भूमि संपत्ति का कुछ भाग लगभग 50 फीसदी माननीय उच्च न्यायलय दिल्ली द्वारा शासकीय समापक दिल्ली के अधीन है, इस भूमि को बेंचना, तीसरे पक्ष के अधीन करना, अतिक्रमण करना प्रतिबंधित है। अतिक्रमणकर्ता के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। इस नोटिस को हटाना दंडनीय अपराध है। इसके बाद हाईकोर्ट के अधिकारी जैसे वहां से गए वैसे ही नोटिस फाड़ दिया गया।
निवेशकों का कहना है कई अब तक हम लोगो का पैसा नहीं मिला है और इसका पहले नाम फेरस मेगापोलिस सिटी था और हाल में फेरस के सुरेंद्र सेठ, आशीष सेठ और अमित सेठ ने बड़ा खेल खेलते हुए इसे प्रमोद गुप्ता, कृष्णवीर शर्मा, प्रवीण शर्मा, विभाष गुप्ता, सुरेंद्र कुमार गोयल. धर्मबीर जैन, मसवूद कमर को बेंच दिया जिन्होंने इसका नाम बदलकर टाउनफ़िट-70 रख दिया और नए बिल्डर नए लोगों को चूना लगाने के प्रयास में हैं जबकि पहले के कई दर्जन निवेशक अब भी खून के आंसू रो रहे हैं और अपने जिंदगी भर की जमा पूंजी यहां लगा चुके हैं।
निवेशकों का कहना है कि नए बिल्डरों ने अपने लोगों से हाईकोर्ट का नोटिस इसलिए फड़वाया ताकि वो नए लोगों को ठग सकें और नए लोगों को ये पता न चल सके कि ये भूमि विवादित है। निवेशकों ने बताया कि नए बिल्डर हम पर दबाव भी डाल रहे हैं कि हम जो कुछ दे रहे हैं ले लो वरना कुछ भी नहीं मिलेगा। कोर्ट में धक्के ही खाते रहोगे।
आपको बता दें कि मालुम हो कि कि 2012 में फेरस ग्रुप ने अख़बारों में विज्ञापन निकलवाया था जिसमे आईएमटी से लगती जमीन सेक्टर-70 में लग्जरी सुविधाएं जैसे पार्क, स्कूल, अस्पताल, शापिंग कांप्लेक्स, स्वीमिंग पूल आदि जैसी चीजों का सपना दिखाकर निवेशकों को प्लाट बेच दिया था । लोगों से 85 फीसदी तक रकम की वसूली कर ली और इस दौरान वहां कुछ मजदूर लगा दिए कि सड़क सीवर का काम चल रहा है जल्द प्रोजेक्ट पूरा होगा। लोग पैसा जमा करते चले गए। कई वर्षों तक मौके पर कोई ईमारत नहीं बनी। तब से निवेशक खून के आंसूं रो रहे हैं।
अब इस प्रोजेक्ट का नाम बदलकर नए लोगो को बेंचा जा रहा है जिसके बाद मंगलवार को हाईकोर्ट का आर्डर आया और नोटिस चिपकाया गया। नोटिस के बाद बिल्डर हैरान रह गए और तुरंत नोटिस को फड़वा दिया गया।
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