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20 हजार आशा वर्कर 11 नवंबर को प्रदेश भर में कर सकती हैं प्रदर्शन

Protest-Haeyana-11-Nov
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 फरीदाबाद,6 नवंबर। आशा वर्कर यूनियन हरियाणा ने एनएचएम कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने में आशा वर्कर को शामिल न करने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। यूनियन ने ऐलान किया है कि अगर आशा वर्कर की 50 प्रतिशत राशि की बढ़ोतरी की फाइल और महामारी में कार्य करने की 1000 रुपए प्रोत्साहन राशि तथा मुख्यमंत्री द्वारा घोषित 5000 रुपए राशि को तुरंत प्रभाव से एनएचएम के कर्मचारियों की घोषणा के साथ नहीं जोड़ा गया तो 20 हजार आशा वर्कर 11 नवंबर को प्रदेश भर में प्रदर्शन करेंगी। प्रदशनों में ही आगामी आंदोलन का ऐलान कर दिया जाएगा। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा व सीटू के प्रधान निरंतर पराशर ने भी मुख्यमंत्री द्वारा की गई धोषणा में आशा वर्कर की मांगों की अनदेखी करने की घोर निन्दा की और आशा वर्कर यूनियन द्वारा धोषित आंदोलन का पुरजोर समर्थन करने का ऐलान किया।

आशा वर्कर यूनियन हरियाणा की जिला प्रधान हेमलता व महासचिव सुधा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एनएचएम में कार्यरत कर्मचारियों की सराहना करते हुए सभी कर्मचारियों को सातवें पे कमिशन की सुविधाएं लागू करने की घोषणा की है । मुख्यमंत्री ने अपनी धोषणा में कहा कि एनएचएम कर्मचारियों ने कोविड-19 महामारी के दौरान ईमानदारी और लगन से कार्य किए हैं। इसलिए हरियाणा सरकार इन कर्मचारियों को सातवें पे कमीशन के लाभ दे रही है। जोकि सराहनीय कदम है। परंतु बड़े खेद की बात है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री को एनएचएम में कार्य करने वाली 20 हजार आशा वर्कर्स के बारे कोई जानकारी नहीं है। जिन आशा वर्कर्स ने स्वास्थ्य विभाग की रीड बनकर इस महामारी में दिन रात कार्य किया है और अभी भी कर रही है। महामारी के दौरान जब पूरी दुनिया और देश में सब को घरों में रहने की हिदायतें सरकार ने दी थी, उस वक्त में सरकार ने आशा वर्कर्स को घर-घर जाकर सर्वे करने, महामारी में संक्रमित हुए लोगों की जांच करवाने, उनको आइसोलेशन में रखने, उनको दवाइयां मुहैया करवाने, जिनके पास आइसोलेशन की सुविधा नहीं है, उनको अस्पताल पहुंचाने, क्वारंटाइन पेपर लगाने, देश विदेशों से आए सभी नागरिकों की जानकारी रखने, उन्हें मोहर लगाने जैसे सारे कार्य आशा वर्कर्स ने विपरीत परिस्थितियों में घर घर जाकर किए है । उन्होंने बताया कि इन सभी कार्यों को करने के लिए सरकार आशा वर्करों को सुरक्षा उपकरण तक उपलब्ध कराने में भी असमर्थ रही है । सरकार ने केवल आदेश दिए कि यह सारे कार्य आशा वर्कर्स करेंगे। यह सभी ड्यूटी करते करते अनेकों जगहों पर आशा वर्कर दुर्घटना का शिकार हई। पुलिस द्वारा भी आशा वर्कर की पिटाई की गई। गांवों और बस्तियों में अनेकों दबंगों ने भी आशाओं के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की। महामारी में कार्य करते हुए कई आशा वर्कर्स संक्रमित हुई और उनकी मृत्यु हो गई। सरकार ने महामारी में कार्य करने वाले सभी कर्मचारियों और वर्करों को 50 लाख बीमा देने की घोषणा की थी,जो केवल घोषणा ही है। किसी भी मृत आशा के परिवार को यह मुआवजा नहीं दिया गया, जो बेहद निंदनीय है। सरकार का इस पर कोई संज्ञान नहीं है। सरकार का ऐसा रवैया कार्य करने वालों में केवल निराशा पैदा करता है, जो असहनीय है।

हेमलता व सुधा ने बताया कि 17 जून, 2021 को मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि महामारी में कार्य करने वाले सभी एनएचएम कर्मचारियों वर्कर को 5000 रुपए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जाएगी । मुख्यमंत्री की यह घोषणा भी अभी तक घोषणा ही है। इसे वास्तव में लागू नहीं किया गया है । जो अपने आप में सवालिया निशान है । महामारी में कार्य करने के लिए आशा वर्करों को 1000 रुपए अतिरिक्त राशि केंद्र सरकार द्वारा दी गई । जबकि यह कार्य राज्य सरकार के अधीन किया गया है  और राज्य सरकार को इसकी 50 प्रतिशत राशि दी जानी है, जिसकी फाइल पिछले एक वर्ष से मुख्यमंत्री के पास विचाराधीन है। जिसे पारित नहीं किया गया है । यही नहीं वर्ष 2018 के बाद से आशा वर्कर की प्रोत्साहन राशि में कटौती की गई है और महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। परंतु आशा वर्करों के मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि एक तरफ सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे नारे देकर महिलाओं के सम्मान की बात करती है और दूसरी तरफ एनएचएम में कार्य करने वाली महिलाओं की इतनी बड़ी संख्या को अनदेखा करती है । जिसको किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने सभी आशा वर्करों से 11 नवंबर के जिला स्तर पर होने वाले प्रदर्शनों में बढ़-चढ़कर शामिल होने का आह्वान किया। 

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