विकास के जुमलों से कोसों दूर,लाखों परिवार चूल्हा फूंकने पर मजबूर।मोदी जी के विकास की गाड़ी रिवर्स गियर में है और ब्रेक भी फ़ेल हैं।#PriceHike pic.twitter.com/IwEUBUe0un— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 6, 2021
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री उज्जवला योजना भारत के गरीब परिवारों की महिलाओं के चेहरों पर खुशी लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 2016 को शुरू की गई थी । इस योजना के अंतर्गत गरीब महिलाओं को मुफ्त एलपीजी गैस कनेक्शन दिए गए। लगभग 8 करोड़ लोगों को मुफ्त में सिलेंडर दिए गए।
केंद्र सरकार ने कहा था कि इस योजना से गरीब महिलाओं को जल्द ही मिट्टी के चूल्हे से आजादी मिल जाएगी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में खाना पकाने के लिए उपयोग में आने वाले जीवाश्म ईंधन की जगह एलपीजी के उपयोग को बढ़ावा देना था । शहर के अधिकतर लोग पहले से एलपीजी का इस्तेमाल कर रहे थे।
2016 में रसोई गैस सिलेंडर के दाम महज 509 रूपए थे। अब दाम बढ़कर 900 रूपए कर दिए गए हैं और कई शहरों में तो 1000 रूपये हैं । यानि तब से लेकर अब तक 400 से 500 प्रति सिलेंडर बढ़ गए हैं। खास बात ये है कि तब सब्सिडी मिलती थी और सब्सिडी भी पूरी तरह से खत्म है। हाल में कई राज्यों से खबरें आईं कि उज्ज्वला योजना के सिलेंडर लोग कबाड़ियों को बेंचने लगे हैं और चूल्हा फूकने पर फिर मजबूर हैं।
ये योजना जब शुरू हुई तब पूरे देश में पीएम नरेंद्र मोदी के होर्डिंग्स पेट्रोल पम्पों एवं अन्य जगहों पर लगाए गए लेकिन अब कहीं-कहीं ही दिखते हैं। अब 5 किलो मुफ्त राशन और टीके वाले होर्डिंग्स दिखने लगे। फ्री राशन इस महीने बाद बंद हो सकता है।
कुछ लोग सरकार पर बड़े सवाल उठा रहे हैं जिनका कहना है कि जैसे मुकेश अम्बानी ने फ्री में जो के इंटरनेट बांटे और फिर करोड़ों ग्राहक बना लिए और मुफ्त बंद कर दाम बढाकर अब मोटा माल कमा रहे हैं। इसी तरह से करोड़ों लोगों को फ्री सिलेंडर बाँट दाम बढ़ा मोटा माल कमाया जा रहा है। ये एक सोंची समझी चाल है। हो सकता है किसी बड़े उद्योगपति की चाल हो जो एलपीजी के क्षेत्र में हो। जितने मुँह उतनी बातें सामने आ रहीं हैं।
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