फरीदाबाद- हमने बचपन से सीखा है कि दान पुण्य करना किसी की मदद करना सबसे अच्छा काम है इसलिए मैं लोगों मदद करता हूँ और आगे भी करता रहूंगा। कल मैंने एक हजार से अधिक वकीलों को कानूनी पुस्तकें निःशुल्क वितरित की लेकिन तमाम वकील निराश होकर चले गए जिन्हे पुस्तकें नहीं मिली इसका मुझे दुःख हुआ और फिर मैंने 300 से ज्यादा पुस्तकें आज मंगवाईं और कल जिन वकीलों को पुस्तकें नहीं मिली थीं आज उन्हें अपने चैंबर में बुलाकर बांटा। ये कहना है बार एसोशिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एलएन पाराशर का जिन्होंने आज अपने चैंबर में फिर कानून की किताबों का वितरण किया।
एडवोकेट पाराशर ने बताया कि मुझे दो वक्त का भोजन चाहिए और अगर इससे ज्यादा मिलता है तो मेरा प्रयास होता है कि जरूरतमंदों की मदद करू और मैंने आज के पहले 7 बार फरीदाबाद कोर्ट में कानूनी किताबों का वितरण किया है और अब ये आठवीं बार कल से किताबें बाँट रहा हूँ और अपने निजी खर्चे से बाँट रहा हूँ और इस बार चार महत्वपूर्व किताबों का सेट बाँट रहा हूँ। उन्होंने फिर बताया कि एडवोकेट पाराशर ने कहा कि इस बार चार तरह की किताबें बांटी गई हैं जिनमे पहली किताब क्रिमिनल मैनुअल है जिसमे आईपीसी, सीआरपीसी, आफ आफ एविडेंस और जम्मू कश्मीर में नए एक्ट के बारे में बहुत कुछ है। दूसरी किताब सुप्रीम कोर्ट डाइजेस्ट आन इंडियन पीनल कोड है जिसमे जिसमे 2010 से 2018 तक के कई अहम् केस की जानकारी दी गई है। तीसरी किताब लॉ आफ इंटरलॉक्यूटरी है जिसमे कई तरह के आर्डर के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है और चौथी किताब 2022 की आधुनिक डायरी है।
एडवोकेट पाराशर ने बताया कि मैं ऐसा काम करता हूँ तो इसमें मेरे स्टाफ की भी खास भूमिका होती है। स्टाफ और मेरे कई भतीजे वकालत कर रहे हैं वो हमारा हाथ बंटाते हैं। उन्होंने बताया कि मेरा बेटा नितीश पाराशर भी वकालत की पढाई कर चुका है और जल्द कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू करने वाला है। वो भी मेरा साथ देता है। उनहोने कहा कि लगभग चार साल पहले मैंने जब लोगों की मदद करना शुरू किया तो कुछ लोगों ने समझा कि मैं कोई चुनाव लड़ने वाला हूँ इसलिए ऐसा कर रहा हूँ, उसके बाद कई दफा बार एसोशिएशन के चुनाव हुए और मैंने कोई चुनाव नहीं लड़ा क्यू कि मैं पहले भी कहता था और अब भी कह रहा हूँ कि मैं चुनाव लड़ने के लिए समाजसेवा नहीं करता। दिल से लोगों की मदद करता हूँ। उन्होंने फिर कहा कि मेरा बेटा नीतीश पाराशर और मेरे कई भतीजे जो कोर्ट में प्रैक्टिस करते हैं और मेरे स्टाफ में दर्जनों वकील मेरा साथ देते हैं।
उन्होंने कहा कि मैं पहले भी जरूरतमंदों के मदद करता था और अब भी कर रहा हूँ और आगे भी करता रहूंगा। कोर्ट के युवा वकील निराश न हों। मैं उनके साथ हूँ और प्रयास कर रहा हूँ कि जिन युवा वकीलों के पास बैठने के लिए जगह नहीं है उनके लिए जल्द सीट का इंतजाम कर सकूं। मैंने सीएम और जिला अधिकारी को पत्र लिख उनसे अनुरोध किया है। अगर वहाँ से कोई मदद न मिली तो युवा वकीलों के लिए सीट के लिए स्थानीय नेताओं एवं मंत्रियों से अनुरोध करूंगा।
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