अजमेर राजस्थान। अजमेर, गुजारा भत्ता दण्ड प्रक्रिया संहिता के अन्तर्गत कानून उन पत्नी, संतान, माता पिता के लिये बनाया गया है जो कि स्वंय का भरण पोषण करने में असमर्थ है परन्तु दुर्भाग्यवश इसका दुरुपयोग सम्पूर्ण राष्ट्र मे उन पत्नी । महिलाओ द्वारा तेजी से किया जा रहा है जो खुद का भरण पोषण करने में सक्षम एंव आत्मनिर्भर है। यह पति /पुरुषो के उपर थोपे जाने वाला वह कानून है, जिसमे पुरुष को महिला के जीवनयापन के नाम पर, बिना किसी काम के अपने तरीके से जीने के लिये पैसा । गुजारा भत्ता न्यायालय द्वारा देने को मजबूर किया जाता है। यहाँ तक कि उस संतान के पालन पोषण की जिम्मेदारी भी ऐसे पुरुषो पर डाल दी जाती है जो कानूनी रूप से उनके पिता नही होते है। दुर्भाग्य तो यह है कि पतियो पर यह अन्याय । अत्याचार न्यायालय द्वारा किया जाता है। सिर्फ इसलिये कि उसने उस महिला से विवाह किया है, मानो उसने कोई विवाह नही अपराध कर दिया है। उक्त विचार अजमेर के लेखक निर्माता एंव निर्देशक हनी चौरसिया ने आज अपनी प्रेस वार्ता के दौरान कहे।
हनी चौरसिया ने कहा कि भारत का संविधान पुरूषो और महिलाओ का समानता का पूर्ण अधिकार देता है फिर केवल राष्ट्रीय महिला आयोग, राज्य महिला आयोग, महिला मंत्रालय, महिला हेल्पलाईन, महिला हेल्प डेस्क महिला अपराध शाखा ही क्यों।
आखिरकार पीडित पुरूष, भाई, ससुर, देवर, जेठ और उनसे व पुरुषो से सम्बंधित व जुडी हुई महिलाऐ सास, ननद, जेठानी व बहने अपने उपर हो रहे अत्याचारो व शारीरिक व मानसिक व आर्थिक शोषण के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने और न्याय पाने आखिरकार जाये तो जाये कहा। चूंकि हमारे देश में ना तो पुरूषो के लिये कोई आयोग है और ना ही कोई मंत्रालय है जिस कारण न्याय ना मिल पाने व लिंग भेदी कानून के दुरुपयोग से हर साल 90,000 से अधिक पुरूषदेश मे आत्महत्या कर रहे है। हनी चौरसिया ने ऐसे ही दुरूपयोग किये जाने वाले कानून धारा 125 दण्ड प्रक्रिया संहिता, “गुजारा भत्ता' विषय पर अपना म्युजिक एल्बम हरियाणा की म्युजिक लेबल कम्पनी सोनोटेक कैसेट ;w&V~;wc pSuy के साथ दीपावली पर लॉच किया है जो कि देश, प्रदेश मे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है। उक्त म्युजिक एल्बम मे पतियो/ पुरुषो के खिलाफ कानून व न्यायालय द्वारा किये जा रहे मतभेद व इस कानून से प्रताडित पतियो की व्यथा को दर्शाया गया है।
एक तरफ नारी सशक्तिकरण, महिला समानता, लिंग भेद, जेण्डर समानता के नाम पर "हमारी छोरिया, छोरो से कम है क्या ?" जैसी बाते की जाती है, तो दूसरी तरफ गुजारा भत्ता के नाम पर मनचाही रकम दिलाई जाती है, उन्हे असक्षम, असहाय बनाकर माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी के “आत्मनिर्भर भारत अभियान" को कमजोर किया जा रहा है। इस गीत में मुख्य भूमिका मे रैपर । गायक हनी चौरसिया के साथ अजमेर के अभिनेता मानव दुआ व दिल्ली के मॉडल । अभिनेत्री प्रिया छाबडा, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. ए.पी. सिंह व सिक्का व अन्य सह कलाकारो के साथ नजर आ रहे है। आपको बता दे कि यह गीत युवाओ को इतना लुभा व प्रेरित कर रहा है कि वे # Guzara Bhatta लिखकर लाखो ट्वीटस टिवटर पर कर चुके है तो कुछ इन्स्टाग्राम, फेसबुक पर इस गीत की रील्स, स्टोरी बना रहे है।
अंत में हनी चौरसिया ने माननीय अदालतो से अनुरोध करते हुये कहा कि देश में पीडित पुरुष के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे है, जिससे पुरूषो के शारीरिक, मानसिक व आर्थिक शोषण भी तेजी से हो रहा है इसलिये सभी अदालतो को इस विषय पर गंभीरता से विचार करते हुये झंठे केस करने वाली तथाकथित महिलाओ को भी सजा देकर दण्डित करना चाहिये ना कि मनचाहा गुजारा भत्ता दिलाना चाहिये, जिससे न्याय की देवी के तराजू के पलडे बराबर हो सके और सरकार का न्याय सबके लिये बराबर पूर्ण रूप से सिद्ध होकर जन मानस मे साकार हो सके और आगे आने वाले समय में पीडित पुरूष आत्महत्या करने को मजबूर ना हो सके क्योकि परिवार एक मुखिया की आत्महत्या से परिवार के अन्य सदस्य जो कि उसी पर पूरी तरह से आश्रित होते है उसकी आत्महत्या से पूरी तरह से बिखर जाते है, जिसकी कभी भरपाई नही हो पाती है। देखें ये वीडियो
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