चंडीगढ़, 20 अक्तूबर -हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि सहकारिता तथा पशुपालन एवं डेयरी एक दूसरे के पूरक है। देश व पूरी दुनिया में सहकारिता को एक प्रोजेक्ट न मानकर इसे सामूहिक रूप से काम करने की एक कार्य पद्घति, एक शैली व एक आंदोलन माना गया है। पिछले सात वर्षों के दौरान सरकार ने राज्य में दुग्ध उत्पादकता बढ़ाने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है, जिसके फलस्वरूप प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दुध की उपलब्धता 1142 ग्राम हो गई है जो वर्ष 2014 में 740 ग्राम थी।
मुख्यमंत्री आज यहां उनके निवास स्थान पर उनका आभार व्यक्त करने आएं सहकारिता व पशुपालन एवं डेयरी प्रकोष्ठïों के प्रतिनिधियों को सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि जोत छोटी हो रही है इसलिए पशुपालन एवं अन्य सम्बद्घ व्यवसायों को कृषि के साथ जोड़ कर किसान अपनी आय में वृद्घि कर सकता है। हर-हीत स्टोर की तर्ज पर युवाओं को दुग्ध व्यवसाय से जोडऩेे के लिए पांच हजार नए वीटा बूथ खोलने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि दो लाख परिवारों को दुध व्यवसाय से जोड़ा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पशुधन बीमा योजना के लिए बीमा कम्पनियों पर निर्भर न रहकर सरकार अपने स्तर पर एक ट्रस्ट बनाएगी जिसके तहत पशुधन का बीमा किया जाएगा। इससे युवाओं को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हर वर्ष पांच लाख बच्चे पैदा होते हंै उनमें से 50 प्रतिशत अपने पैतृक व्यवसाय से जुड़ जाते हंै और अन्य पढ़ाई पूरी करने के उपरान्त नए व्यवसाय को तलाशते हैं और कोई उद्योग व कोई व्यापार में लग जाता है। सूचना प्रौद्योगिकी से सिस्टम बदल रहे हैं इससे काम काज तलाशने के तरीके भी बदले हैं। उन्होंने कहा कि संगठनात्मक तौर पर योजनाएं बनाकर सरकार को सुझाव दिए जा सकते है। सहकारिता का भी यहीं भाव रहा है। सहकारिता का सरकारीकरण नहीं होना चाहिए। इसके माध्यम से एक व्यक्ति अपने साधन के हिसाब से जितनी कमाई नहीं कर सकता है उतनी सहकारिता से जुडक़र भी कर सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परिवार पहचान पत्र सरकार की एक अनूठी योजना है पूरे देश में किसी भी राज्य में इस प्रकार की कोई भी योजना नहीं है। हरियाणा ही एक मात्र ऐसा प्रदेश है जिसने अपने स्तर पर पहचान परिवार पत्र बनाने की पहल की है। इसके तहत 18 से 60 वर्ष के हर सदस्य का डाटा रखा जाएगा कि वह क्या काम करता है। उन्होंने कहा कि 67 लाख परिवारों की पहचान हो चुकी है और अढ़ाई करोड़ लोगों ने पंजीकरण करवाया है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में लगभग 70 लाख की जनसंख्या 18 वर्ष से नीचे की है और 75 लाख की जन संख्या 60 वर्ष से ऊपर की है।
उन्होंने कहा कि परिवार पहचान पत्र पर 10 लाख ऐसे लोगों को पंजीकरण करवाया है, जिनको रोजगार चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को रोजगार मुहैया करवाने की योजनाएं बनाई जा रही हैं, उनको घर द्वार पर विकल्प दिया जाएगा कि किस प्रकार का रोजगार उपलब्ध है। इसके लिए, रोजगार मेलों का भी आयोजन किया जाएगा। मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना के तहत विभिन्न विभागों की 40 सरकारी योजनाओं को चिह्निïत किया गया है, जिसके तहत रोजगार उपलब्ध करवाया जाएगा।
प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) की कार्य प्रणाली के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने सहकारिता विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि पैक्स मुख्यालय गांव से 10 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर नहीं होना चाहिए। छोटे-बड़े कितने गांव एक पैक्स के अधीन आते है इसकी एक योजना तैयार की जाए और सभी 750 पैक्स मेें गांव को नए सीरे से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि पैक्स का कम्प्यूटीकरण किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने इस बात की भी जानकारी दी कि प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पैक्स) को घाटे से उभारने के लिए केन्द्र सरकार ने भी पहल की है। नाबार्ड की ओर से राज्य को पांच करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करवाई जा रही है और शेष राशि राज्य सरकार वहन करेगी।
उन्होंने कहा कि सरकारी कार्य प्रणाली में मानवीय हस्तक्षेप कम से कम हो इसके लिए ऑनलाइन व्यवस्था की जा रही है। धीर-धीरे हर विभाग में यह ऑनलाइन व्यवस्था पूरी तरह से लागू हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अध्यापक स्थानांतरण नीति एक ऐसी नीति है जिसकी पूरे देश में चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि 94 प्रतिशत से अधिक अध्यापक इस व्यवस्था से संतुष्टï हंै।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर विभाग की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए विवादों का समाधान कार्यक्रम चलाया गया है। उन्होंने कहा कि ‘विवाद आप लाओ समाधान हम करेंगे।’ उन्होंने कहा कि गौैशालाओं में मनरेगा के तहत कार्य हो इसके लिए भी सम्भावनाओं का पता लगाया जाएगा।
पूर्व कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री एवं पार्टी अध्यक्ष श्री ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि सहकारिता मुख्यमंत्री के दिल में बसा है वे सहकारिता आंदोलन से जुड़े रहे हैं। छोटे किसानों की समृद्घता सहकारिता के माध्यम से ही सम्भव है। किसान उत्पादक समूह (एफपीओ) इसका एक बड़ा रास्ता है। किसानों को बाजार को पहचाना होगा और अपने उत्पादों की बैडिंग करके अपने उत्पाद बेचने के लिए स्वयं आगे आना होगा।
हरियाणा की भौगिक स्थिति ऐसी है कि वह दिल्ली व राष्टï्रीय राजधानी क्षेत्र की लगभग पांच करोड़ की जनसंख्या की रोजमर्रा की मांग को पूरा कर सकता है। प्रतिदिन ताजा, दुध, फल, फूल, सब्जी इत्यादि दिल्ली के बाजार में पहुंचा सकता है।
उन्होंने कहा कि मुर्राह हरियाणा का गौरव है जब कभी भी कृषि मेलों का आयोजन होता है तो हरियाणा की मुर्राह भैंस व सांड की मांग की जाती है। उन्होंने कहा कि ईजराइल व न्यूजीलैण्ड जैसे देशों की तर्ज पर हमें अपनी दुध उत्पादकता बढ़ानी होगी। उन्होंने कहा कि ग्राहक को क्या चाहिए इस विजन पर हमें चलना होगा। ग्राहक की पंसद को हमें पहचाना होगा।
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