6 सितम्बर 2021- स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री उडनदस्ते से इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय मीरपुर परिसर में आये और पहले ही स्वीकृत 47 करोड की परियोजनाओं पर शिलान्यास, भूमि पूजन के नाम पर अपना शिलापट लगाया और आमजनों से मिले बिना, रेवाडी सुध लिए बिना उडऩदस्ते से ही उड़ गए। विद्रोही ने सवाल किया कि जब शिक्षक दिवस पर रेवाड़ी आगमन पर उन्होंने रेवाड़ी जिले की सात सालों से आधी अधूरी पड़ी शिक्षा परियोजनाओं की सुध लेकर उनके लिए पर्याप्त धन निर्माण के लिए देकर उन्हे पूरा ही नही करवाना था और आमजनों की सुध ही नही लेनी थी तो रेवाड़ी आईजीयू मीरपुर परिसर में उडऩ खटोले से आने की जरूरत क्या थी? भूमि पूजन व शिलान्यास के नाम पर अपना नाम चमकाने को आतुर खट्टर जी वीडियो कॉन्फ्रैस के द्वारा भी शिलान्यस पट पर अपना नाम दर्ज करवाके प्रचार की निजी भूख को शांत कर सकते थे।
विद्रोही ने कहा कि जब मुख्यमंत्री किसी जिले के दौरे पर जाता है तो आमजन अपेक्षा करते है कि प्रदेश का मुखिया उनकी सुध लेगा, पुलिस संगीनों के साये में घिरकर केवल अपनी ही हांक कर चलते बनने की बजाय आमजन की समस्याओं को सुनकर उनका भी समधान करेगा। वहीं जिस क्षेत्र में मुख्यमंत्री दौरा कर रहे है, उस जिले के विकास कार्यो को आंखों से देकर समीक्षा भी करेगा। पर खट्टर जी ने तो सड़क पर एक कदम भी नही रखा। वे तो आसमान की सैर करते हुए हेलीकाप्टर से कार्यक्रम स्थल पर आये और वहीं से आसमान की सैर करते हुए चलते बने। मुख्यमंत्री का ऐसा आचरण बताता है कि उनकी विकास कार्य व आमजन के सुख-दुख की सुविधाओं को जानने व समझने में पैसेभर की भी रूचि नही।
विद्रोही ने कहा कि शिक्षक दिवस पर रेवाडी आगमन के बाद भी खट्टर जी ने सात सालों से अधूरी पड़ी जिले की शिक्षा योजनाओं के लिए धन देकर उनके निर्माण को पूरा करने की दिशा में कोई ठोस कदम नही उठाया। सवाल उठता है कि विगत साल सालों में घोषित, अपग्रेड किये गए कालेज व स्कूल का भवन निर्माण नही हो रहा, शिक्षा आधारभूत ढांचा नही है, पर्याप्त प्रिंसीपल, प्रधानाचार्य, प्राध्यापक, शिक्षक नही है तो शिक्षा का विकास कैसे होगा? केवल घोषणाएं करने से तो शिक्षा का आधारभूत ढांचा मजबूत नही होने वाला और न ही शिक्षा में कोई गुणात्मक परिवर्तन आने वाला। भाजपा सांसद, विधायक अखबारों में तो बयान बहादुर बनकर लम्बी-चौड़ी हांकते है, पर क्षेत्र के विकास के लिए न तो मुख्यमंत्री के सामने जबान खोलने और न ही क्षेत्र के अधूरे पड़े विकास कार्यो के लिए पर्याप्त बजट प्रावधान करने के लिए दबाव बनाते है। ऐसी स्थिति में विद्रोही ने सवाल किया कि बिना धरातल पर काम किये बयान बहादुर बनकर लम्बे-चौड़े दावे करने व मुख्यमंत्री के ऐसे हवाई दौरे करने का औचित्य ही क्या है?
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