चंडीगढ़, 10 सितंबर-हरियाणा ने वर्ष 2020-21 के लिए स्वीकृत 15,000 पंपों के मुकाबले 14,418 पंपों की स्थापना करके प्रधान मंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएमकेयूएसयूएम) के तहत ऑफ-ग्रिड सोलर पंपों की स्थापना में देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
यह घोषणा केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा आयोजित सप्ताह भर चले राष्ट्रव्यापी ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के समापन सत्र में की गई।
सोलर पंपों को इतने बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए राज्य के किसानों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कहा कि यह सरकार द्वारा कृषि लागत को कम करके किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में उठाए गए कदमों में से एक है।
नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग एवं हरेडा के महानिदेशक डॉ. हनीफ कुरैशी ने योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने वर्ष 2019 में 20 लाख स्टैंडअलोन सोलर पंप स्थापित करने के लक्ष्य के साथ पीएमकेयूएसयूएम योजना शुरू की थी, जिसके तहत हरियाणा को वर्ष 2020-21 के लिए 520 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ 15,000 पंप स्थापित करने का लक्ष्य दिया गया था।
योजना के तहत राज्य में 75 प्रतिशत सब्सिडी के साथ 3 एचपी से 10 एचपी क्षमता के स्टैंडअलोन सोलर पंप स्थापित किए जा रहे हैं। इस योजना के तहत भारत सरकार 30 प्रतिशत केंद्रीय वित्तीय सहायता और राज्य सरकार 45 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान कर रही है। किसानों को कुल पंप लागत का केवल 25 प्रतिशत भुगतान करना होता है। उन्होंने कहा कि इन पंपों को किसान/जल प्रयोक्ता संघ/समुदाय/क्लस्टर आधारित सिंचाई प्रणाली आदि द्वारा केवल सिंचाई के उद्देश्य से स्थापित किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि डार्क/ब्लैक जोन में किसानों को केवल मौजूदा डीजल पंपों को ही सोलर पंप में बदलने की अनुमति है, बशर्ते वे पानी बचाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों का इस्तेमाल करें। पीएमकेयूएसयूएम के कार्यान्वयन ने किसानों को डीजल पंपों के स्थान पर सोलर पंपों को अपनाने का अवसर प्रदान किया है। आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि पीएमकेयूएसयूएम के लाभार्थी या तो सीमांत किसान हैं, जिनके पास बिजली कनेक्शन नहीं है या फिर वो किसान हैं जो डीजल पंपों का उपयोग कर रहे हैं।
डॉ. कुरैशी ने कहा कि इन पंपों को किसान पर बिना किसी अतिरिक्त लागत के 5 वर्षीय वार्षिक रख-रखाव अनुबंध (एएमसी) और प्राकृतिक आपदाओं, चोरी आदि के लिए बीमा कवर के साथ स्थापित किया गया है।
उन्होंने कहा कि हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है और यहां लगभग 6.5 लाख इलेक्ट्रिक पंप और तीन लाख डीजल संचालित पंप हैं। उन्होंने कहा कि ये सोलर पंप न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि खेती की लागत को भी कम करेंगे क्योंकि बिजली और डीजल पर कोई आवर्ती खर्च नहीं होगा।
सोलर पंप के मॉड्यूल की लाइफ 25 वर्ष होती है और डीजल संचालित पंपों के साथ तुलना की जाए तो यह लगभग डेढ़ वर्ष में ही अपनी सब्सिडी लागत का भुगतान कर देंगे। उन्होंने कहा कि ये पंप केवल दिन के समय ही चलाए जाते हैं इसलिए किसानों को रात के समय सिंचाई के लिए नहीं जाना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2020-21 में स्थापित किए गए लगभग 15,000 पंपों ने राज्य में लगभग 105 मेगावाट की सौर क्षमता को जोड़ा है और इसके परिणामस्वरूप कार्बन फुटप्रिंट में लगभग 76,000 टन वार्षिक की कमी आई है।
उन्होंने बताया कि इस योजना के प्रति किसानों की प्रतिक्रिया उत्साहवर्धक है और 15000 पंपों के लक्ष्य के मुकाबले विभाग को 42,000 से अधिक ऑनलाइन आवेदन प्राप्त हुए हैं। इस प्रतिक्रिया को देखते हुए विभाग ने चालू वित्त वर्ष के लिए 844 करोड़ रुपये की कुल परियोजना लागत के साथ 22,000 पंप स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है और इसके लिए केन्द्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा दरों एवं फर्मों को अंतिम रूप देने के तुरंत बाद आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे।
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