चंडीगढ़ 11 सितम्बर- करनाल में पिछले पांच दिनों से चल रहे आंदोलन को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल में समझौता हो गया है। सरकार द्वारा लाठीचार्ज प्रकरण की जांच हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज के द्वारा करवाई जाएगी। इस दौरान तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे। समझौते के तहत मृतक किसान के परिवार के दो सदस्यों को स्वीकृत पद पर डीसी रेट अनुसार नौकरी दी जाएगी।
समझौते की घोषणा अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेन्द्र सिंह, उपायुक्त निशांत कुमार यादव, पुलिस अधीक्षक गंगाराम पुनिया, किसान संगठनों की ओर से गुरनाम सिंह चढूनी व अन्य नेताओं की उपस्थिति में संयुक्त रूप से मीडिया से रूबरू होते हुए की गई।
प्रशासन की ओर से एसीएस देवेन्द्र सिंह ने कहा कि आंदोलनकारियों के साथ प्रशासन पिछले 4 दिनों से लगातार एक सौहार्दपूर्ण माहौल में वार्ता करता रहा था , जिसके परिणामस्वरूप आज दोनों पक्षों में आपसी सहमति बनी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसान हमारे भाई हैं और यह समझौता बड़े सम्मानजनक तरीके से हुआ है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव देवेन्द्र सिंह ने बताया कि किसान संगठनों की मांग थी कि बसताड़ा टोल पर 28 अगस्त को पुलिस लाठीचार्ज की जांच की जाए और मृतक किसान सुशील काजल को उचित मुआवजा दिया जाए। इन मांगों पर प्रशासन व किसान नेताओं के बीच गत दिवस देर सायं 4 दौर की बातचीत हुई जिसमें प्रशासन व किसानों के बीच सहमति बनी। उन्होंने बताया कि लाठीचार्ज प्रकरण की पूरी जांच माननीय उच्च न्यायालय के सेवानिवृत जज द्वारा करवाने पर सहमति बनी है। यह जांच एक माह में पूरी करवाई जाएगी और इस दौरान तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे। इसके साथ-साथ मृतक किसान के परिवार के दो सदस्यों को डीसी रेट की सैंक्शन पोस्ट पर एक सप्ताह के अंदर नौकरी दी जाएगी।
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों व उनकी बातचीत के अनेक दौर हुए और सरकार ने किसानों की मांग मानी है। उन्होंने कहा कि लाठीचार्ज प्रकरण की जांच और मृतक किसान के परिजनों को नौकरी देने की मांग मानी गई है। इस बारे सभी संगठनों से बातचीत की गई और सभी ने अपनी सहमति जताई और उन्होंने लघु सचिवालय के सामने चल रहे धरने को समाप्त करने की घोषणा की है । धरने पर बैठे सभी लोगों ने निर्णय का स्वागत किया।
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