फरीदाबाद- अब भी अन्य कई राज्यों के गांवों के आसमान पर आपको सैकड़ों तरह के पक्षी उड़ते दिख जायेंगे और जमीन पर भी कहीं-कहीं बैठे दिखेंगे लेकिन फरीदाबाद के लोग तोता मैना जैसे पक्षी शहर के आसमान पर शायद महीनों में भी नहीं देख पाते होंगे। अन्य पक्षी भी यहाँ नहीं दिखते इसलिए यहां की नई पीढ़ी अब शायद ही पक्षियों को देखकर पहचान सके कि ये कौन सा पक्षी है। इसका प्रमुख कारण अरावली का चीरहरण बताया जा रहा है और जानकारों का कहना है कि वन क्षेत्र में बने सैकड़ों फ़ार्म हाउस एवं अन्य निर्माण के कारण ऐसा हुआ है क्यू कि वन क्षेत्र में हुए निर्माण स्थल पर देर रात्रि तक डीजे वगैरा चलते हैं। शादियों के मौसम में दनादन पटाखे फोड़े जाते हैं इसलिए इस वन क्षेत्र में तमाम तरह के पशु पक्षी गायब हो गए और कहीं और अपना बसेरा बना लिया।
इन फ़ार्म हाउसों के खिलाफ फरीदाबाद बार एसोशिएशन के पूर्व प्रधान एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट एलएन पाराशर ने एक दो नहीं सैकड़ों बार आवाज बुलंद किया ,मौके पर गए और हाईकोर्ट सुप्रीम कोर्ट भी गए। अब उनकी दौड़भाग रंग लाने लगी है। सुप्रीम कोर्ट ने खोरी गांव में वन विभाग की जमीन पर बने सभी अवैध निर्माणों को लेकर सुनवाई की. कोर्ट ने कहा कि वन विभाग की जमीन पर बने सभी अवैध निर्माण तय समय 23 अगस्त तक हटाए जाए. कोर्ट ने कहा जंगल की जमीन से किसी प्रकार से समझौता नहीं किया जा सकता। वन विभाग की जमीन पर राधा स्वामी सत्संग को लेकर भी कहा गया कि ये वन विभाग की जमीन पर है। कोर्ट ने कहा कि अगर ये भी अवैध है तो इसको भी हटाया जाए। कुछ लोगों ने कहा कि हम यहां शादी के लिए पंडाल लगवाते हैं, हमारी अपनी जमीन है. इसपर कोर्ट ने कहा की अगर आप की अपनी जमीन है तो आप क्यों चिंता करते हो , कोर्ट ने निगम को कहा शुक्रवार तक ये बताएं कि ये जमीन इनकी है या वन विभाग की. कोर्ट ने निर्देश दिया कि शुक्रवार तक निगम इन पर कार्यवाई न करे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निगम 23 अगस्त तक पुनर्वास नीति के ड्राफ्ट को पूरा करे. खोरी गांव में तोड़फोड़ कार्रवाई के साथ वन विभाग ने अभी तक 130 फार्म हाउसों को नोटिस जारी कर चुका है। इससे पहले भी सुनावई के दौरान वन विभाग के अधिकारियों ने दावा किया था कि वह तय समय में कार्रवाई को अंजाम देंगे. आज सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में प्रशासन ने आगे की रणनीति तैयार की। जल्द रणनीति का खुलासा हो सकता है। इस मामले को लेकर एडवोकेट पाराशर ने कहा कि अरावली पर एक भी अवैध निर्माण जब तक खड़ा रहेगा तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।
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