फरीदाबाद- पुराने ज़माने की एक लघु कथा है। एक चरवाहे का कोई खास राज दरबार में काम करता था। उस खास ने अपने खास चरवाहे की तारीफ राजा से की तो राजा खुश हो गया और चरवाहे को बुलाकर 18 गांव की जमीन उसे दे दी। चरवाहे से कहा गया कि आपको 18 गांव दिए जा रहे हैं कोई कागज़ ले आओ और लिखित में ले लो, चरवाहा तो चरवाहा था, उसके हाथ में बकरियों को खिलाने के लिए किसी पेड़ की हरी पत्तियां थीं। उसी में से एक पत्ती तोड़ उसने राजा साहब से कहा कि इसी पर 18 गांव लिख दें और राजा ने वही किया। पत्ती पर 18 गांव लिख दिया। चरवाहा खुश हुआ और उस पत्ती को पीठ के पीछे हाँथ कर छुपा लिया। अचानक उसकी एक बकरी आई और पत्ती खा गई। चरवाहा बेहोश, जान पहचान वाले लोगों ने उस पर पानी छिड़क उसे होश में लाया और पूंछा अचानक बेहोश क्यू हुए तो चरवाहा बोला क्या कहूँ कुछ कह नहीं सकता, बिना कहे भी रह नहीं सकता। 18 गांव खा गई बकरी, ये दर्द भी सह नहीं सकता।
दोस्तों यही हाल हरियाणा के ऐतिहासिक शहर फरीदाबाद की है ,जनता बेहाल है। पूरा शहर नरक बन गया है। आवाजें उठ रहीं हैं कि भाजपा को सबक सिखाने का समय आ गया है। आज हमने कई विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया। हर कोई वर्तमान सरकार से दुखी है। फरीदाबाद नगर निगम के कामकाज से दुखी है।सांसद, विधायक और पार्षदों के कामकाज से दुखी है। सबका कहना है कि कमल का फूल दुबारा हमारी सबसे बड़ी भूल थी। कमल के फूल वालों की तुलना उस बकरी से की जा रही है जो 18 गांव खा गई कोई मेहनत भी नहीं करनी पडी। उसके मालिक ने झूंठ बोल राजा से 18 गांव लिया और फिर सभी गांव को बकरी चबा गई।
फरीदाबाद को अब स्मार्ट सिटी लिखते ही लोग गालियां देने लगते हैं। 90 फीसदी लोगों का कहना होता है कि दुनिया में कहीं अगर नरक है तो फरीदाबाद में है। अभी शाम को हमने हार्डवेयर चौक के पास का नजारा दिखाया ,हजारों लोग और शहर के कई बड़े उद्योगपति इस सड़क से सोहना रोड की तरफ आते जाते हैं, सब दुखी हैं। इतने बड़े गड्ढ़े किसी बड़े शहर तो क्या यूपी बिहार की किसी सड़क पर नहीं दिखते। शहर के लोगों का कहना है कि जब भी चुनाव आएगा सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को सबक सिखाएंगे।
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