इस कार्यवाही के बाद बार एसोशिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के प्रधान एडवोकेट एलएन पाराशर का कहना है कि कार्यवाही करने में नगर निगम ने अगर भेदभाव किया तो वो फिर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा कि मैंने ढाई साल तक लगातार अरावली वन क्षेत्र का दौरा किया है और मुझे पता है अरावली पर किस-किस अधिकारी और किस-किस बड़े नेता का फ़ार्म हाउस है। उन्होंने कहा कि नगर निगम पूरी तरह से अरावली खाली करवाए और सभी अवैध फ़ार्म हाउस ढहाए जाएँ।
एडवोकेट पाराशर ने कहा कि पहले ऐसा होता था कि निगम खानापूर्ति के नाम पर अवैध फ़ार्म हाउस की एकाद दीवार तोड़कर चला आता था और फिर वसूली का खेल चलता था। अब यशपाल यादव निगम कमिश्नर हैं और अच्छे अधिकारी कहे जाते हैं इसलिए उम्मीद है वो बिना भेदभाव के कार्यवाही को अंजाम देंगे और पहले जैसा खेल नहीं होने देंगे। पाराशर ने कहा कि क़ानून की नजर में गरीब अमीर एक सामान हैं और जैसे खोरी में तरफ से कार्यवाही हुई और सभी अवैध अतिक्रमण हटाए गए वैसे अरावली के सभी अवैध फ़ार्म हाउस ढहाए जाएँ ताकि ये अफवाह सच न साबित हो कि फ़ार्म हाउस ढहाने में निगम भेदभाव कर रहा है। अगर भेदभाव किया गया तो दिल्ली दूर नहीं है वो फिर निगम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।
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