महिलाऐं कितनी कुशल है इस बात का जीता जागता उदहारण है खोरी प्रकरण जिसमें पुलिस की तरफ से कमान संभाल रही महिला पुलिस अधिकारी डॉ अंशु सिंगला से देखने को मिला, जिन्होंने भारी भाव लश्कर का नेतृत्व करते हुए दिन प्रतिदिन नई ऊर्जा और रणनीति के साथ अपने काम को बखूबी अंजाम दिया। इस कार्य में उनकी सहायता के लिए डीसीपी सेंट्रल मुकेश मल्होत्रा, डीसीपी क्राइम/बल्लभगढ़ जयबीर सिंह एवं डीसीपी ट्रेफिक सुरेश कुमार ने भरपूर सहयोग किया।
माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद खोरी गांव तोड़फोड़ में पुलिस आयुक्त ओपी सिंह ने पुलिस प्रशासन की तरफ से पुलिस उपायुक्त डॉ अंशु सिंगला को तमाम कानूनी व्यवस्था को संभालने की जिम्मेवारी सौंपी गई। यह प्रोजेक्ट चुनौतीपूर्ण था क्योंकि एक तरफ तोड़फोड़ की कार्रवाई जारी थी दूसरी तरफ पुलिस के प्रति लोगों के आक्रोश के मद्देनजर कानून व्यवस्था को बनाए रखना था।
प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के लिए पूरा जोर लगाया गया। सबसे पहले माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करते हुए कानूनी प्रक्रिया शुरू की गई जिसके तहत जिला प्रशासन, पुलिस व राज्य की अलग-अलग एजेंसियों के सहयोग से गैर कानूनी तौर से रह रहे निवासियों से यह अनुरोध किया गया कि वह वहां से पलायन करना शुरू कर दें। इसके लिए समाचार पत्रों, पब्लिक नोटिस, प्रेस कॉन्फ्रेंस व घर घर जाकर भी लोगों से यह आग्रह किया गया की वह अपने सामान के साथ तुरंत यहां से पलायन कर जाएं।
डॉ सिंगला के नेतृत्व में ड्रोन के माध्यम से पूरे इलाके का जायजा लिया गया जिससे तोड़फोड़ की योजना बनाई जा सके जिसमें यह पता चला की कुल 6663 यूनिट जमीन की खपत पाई गई। लोगों को मकान खाली करने के लिए अच्छी खासी मोहलत दी गई तथा तोड़फोड़ की निगरानी ड्रोन द्वारा की गई व मीडिया को एक सुरक्षित स्थान तक ही अनुमति प्रदान की गई।
पुलिस उपायुक्त ने हर रोज अपनी देखरेख में अपनी निगरानी में तोड़फोड़ की कार्यवाही को मॉनिटर किया व रेड क्रॉस सोसायटी के सहयोग से सीपी साहब के निर्देश पर मानवता के नाते खोरी वासियों के लिए थाना सुरजकुण्ड पुलिस द्वारा समय -समय पर खाने व रहने की व्यवस्था भी की गई।
कानून व्यवस्था बनाने के साथ और भी थी कई जिम्मेवारियां:
इस पूरी प्रक्रिया के दौरान कोविड-19 नियमो का पालन करना एक अलग चुनौती बनकर सामने आया। डॉ अंशु सिंगला डॉक्टर होने के नाते इस बात से पूरी तरह वाकिफ है कि महामारी को रोकना कितना जरूरी है इसलिए पुलिस प्रशासन की ओर से पूरी कोशिश थी कि वहां मौजूद अधिकारियों, वहां रहने वाले लोगों को व पुलिस प्रशासन में से किसी को भी महामारी से जूझना ना पड़े।
इसके अलावा डॉ अंशु सिंगला एक काबिल पुलिस अफसर होने के साथ-साथ एक मां भी हैं इस पूरे अभियान को तैयार करते दौरान उन्हें अपने परिवार का भी ध्यान रखना था। सिर्फ शारीरिक तौर पर ही नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक तौर पर भी खोरी प्रकरण की प्रक्रिया बेहद थकाने वाली थी। वहां पर नियुक्त की गई महिला अफसरों के लिए शौचालय वगैरह की व्यवस्था भी बनाए रखना एक चुनौती थी।
उन्होंने यह भी बताया कि इतना बड़ा प्रोजेक्ट फरीदाबाद कमिश्नर ओपी सिंह के सहयोग के बिना पूरा नहीं हो सकता था। किसी भी तरह की जान माल की हानि के बिना लोगों को विनम्रतापूर्वक वहां से पलायन करवाना डॉ अंशु सिंगला के हिसाब से सबसे बड़ी चुनौती थी।
डॉ सिंगला ने बताया कि निगम आयुक्त डॉक्टर गरिमा मित्तल के साथ उनका तालमेल बहुत बेहतरीन रहा। डॉ अंशु सिंगला ने मीडिया का भी धन्यवाद दिया कि उन्होंने प्रशासन के संदेश जनता तक बहुत ही कम समय में और स्पष्ट तरीके से लोगों तक पहुँचाया। सुबह 4:00 बजे से उठकर सभी पुलिसकर्मी अपनी ड्यूटी निभाते थे। न गर्मी देखी, न बारिश, बस अपनी ड्यूटी को महत्वपूर्ण समझा।
कई बार पुलिस को क्रूर समझा जाता है लेकिन अपनी ड्यूटी के दायरों में इंसानियत को भी जिंदा रखते हुए पुलिसकर्मियों ने खोरीवासियों के लिए खाने की व्यवस्था की तथा उनका सामान उठाने में उनकी मदद भी की है।
खोरी के अनुभव के बारे में बात करते हुए डॉ अंशु सिंगला काफी भावुक हो गई उन्होंने कहा कि पुलिस ने इस समय दमदार भूमिका निभाई है पुरुष पुलिसकर्मियों के साथ-साथ महिला पुलिसकर्मी भी इस बड़े प्रोजेक्ट में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रही है। डॉक्टर अंशु सिंगला डीसीपी ने इस सफलता का श्रेय और सीपी साहब के मार्गदर्शन और ड्यूटी पर मौजूद सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को दिया।
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