Faridabad- अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के द्वारा होटल शहनाई में एक प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए आचार्य वीरेन्द्र विक्रम ने बताया की गांव अनंगपुर में गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज और गुर्जर महाराज अनंगपाल प्रथम की मूर्ती की स्थापना पर 8 अगस्त 2021 को कार्येक्रम का आयोजन होने जा रहा है जिसके आयोजक शीशपाल भड़ाना है । उन्होंने बताया की कुछ असामाजिक तत्व इस बात पर बिना मतलब की विवाद कर रहे है। प्रतिहारो को कदवाहा और राजोर के शिलालेखों में , परमारो को घागसा के शिलालेख , तिलकमंजरी , सरस्वती कंठाभरण में , चालुक्यों को कीर्ति कौमुदी और पृथ्वीराज विजय में , चौहानो को पृथ्वीराज विजय और यादवो के शिलालेखों में गुर्जर जाति का लिखा हुआ है। दिल्ली ट्रेवल गाइड में और लालकोट किले के संजय वन में दिल्ली सरकार के डी डी ऐ विभाग द्वारा लगवाए गए बोर्ड पर लिखा है की लाल कोट किले को गुर्जर तंवर चीफ अनंगपाल ने 731 ईसवी को बनवाया था।
प्रेस वार्ता में कहा गया कि भारत के इतिहास में 1200 ईसवी से पहले राजपूत नाम की किसी भी जाति का कोई उल्लेख नहीं है। क्षत्रिय कोई जाति नहीं है , क्षत्रिय एक वर्ण है जिसमे जाट , गुर्जर , राजपूत अहीर (यादव ) , मराठा आदि सभी जातिया आती है। इतिहासकार डॉ जितेश गुर्जर ने बताया की हमारे सारे प्रमाण मूल लेखो, समकालीन साहित्य और शिलालेखों पर आधारित है। राजपूत समाज जब चाहे किसी भी टीवी चैनल पर बहस कर सकता है। कार्येक्रम के आयोजक शीशपाल भड़ाना ने बताया की मूर्तिया तो लग चुकी है और 8 अगस्त को हवन एवं भंडारे का आयोजन किया जा रहा है जिसमे 16 प्रदेशो से गुर्जर समाज के लोग आ रहे है। इस प्रेस वार्ता में अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के संस्थापक एवं संरक्षक नरेंद्र गुर्जर , डॉ जितेश गुर्जर ,जे पी महाशय, अनुराग गुर्जर, महेश फागना, गौरव तंवर, अमित खारी , महेश लोहमोड़ , अभिनव गुर्जर, योगेंद्र बसोया, मोहित गुर्जर मुख्य रूप से उपस्थित थे।
अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के इस दावे पर राजपूत समाज के नेता ठाकुर कमल सिंह तंवर ने कहा कि कुछ लोग बेहूदगी पर उतर आये हैं। इतिहास को तोड़ मरोड़ रहे हैं। ऐसे लोगों को पता हो कि राजपूत समाज भगवान राम और कृष्ण के समय का है और क्षत्रिय ही राजपूत हैं। भगवान् कृष्ण की पूजा अब भी ठाकुर जी के रूप में होती है। इन बेहूदों को कौन समझाए। उन्होंने कहा कि हम भाईचारा खराब नहीं करना चाहते हैं वरना इनकी पोल खोलेंगे कि ये कहाँ से आये, कहाँ पैदा हुए और क्या करते थे तो ये किसी समाज में मुँह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।
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