चण्डीगढ़, 29 अगस्त - हरियाणा के भूमि पंजीकरण से संबंधित 7-ए नियम में संशोधन के अभूतपूर्व लाभ दिखाई देने लगे हैं। डीड-रजिस्टे्रशन से स्टांप ड्यूटी में हुई वृद्घि से राजस्व में भारी इजाफा हुआ है।
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि पिछले विधानसभा सत्र के दौरान राज्य सरकार ने 7-ए नियम में संशोधन किया था जिसके तहत एक हजार गज से कम क्षेत्र के लिए डीटीपी तथा नगर निकाय विभाग से अनापत्ति प्रमाण-पत्र (एनओसी)लेना अनिवार्य किया गया है। उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्र में एक सितंबर 2020 से आज तक कुल लगभग 2 लाख 80 हजार डीड रजिस्टर्ड हुई हैं तथा 6184 डीड ऐसी हैं जो डीटीपी तथा नगर निकाय विभाग से एनओसी प्राप्त हैं।
उपमुख्यमंत्री, जिनके पास राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग का प्रभार भी है, ने बताया कि रजिस्टे्रशन फीस के रूप में वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान करीब 433 करोड़ रूपए, वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान लगभग 338 करोड़ रूपए (हालांकि कोविड-19 के कारण कुछ दिन रजिस्ट्री बंद रही) तथा चालू वित्त वर्ष के दौरान आज तक करीब 193 करोड़ रूपए प्राप्त हुए हैं। उन्होंने जानकारी दी कि अप्रैल 2019 से लेकर अभी तक कुल 964 करोड़ रूपए का राजस्व प्राप्त हुआ है।
दुष्यंत चौटाला ने आगे बताया कि वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान स्टांप ड्यूटी के रूप में राज्य सरकार को 5369 करोड़ रूपए की आय हुई, जबकि वर्ष 2020-21 के दौरान कोविड-19 का संक्रमण काल होने पर भी 4509 करोड़ रूपए तथा चालू वित्त वर्ष के दौरान अभी अगस्त तक 2692 करोड़ रूपए स्टांप ड्यूटी के रूप में सरकारी खजाने में जमा हुए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि शेष अवधि के पूरे होने तक राज्य कुल 6500 करोड़ रूपए तक स्टांप ड्यूटी के तौर पर अर्जित कर सकता है।
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