फरीदाबाद- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अरावली पर स्थित कई फ़ार्म हाउसों पर गाज गिर चुकी है। सबसे उन लोगों के फ़ार्म हाउस पर नगर निगम का पीला पंजा चला जो कभी भाजपा के बड़े नेताओं के खास हुआ करते थे। संदीप चपराना का नंबर पहले लगा फिर कमल जख्मी को भी निगम के पीले पंजे ने बड़ा जख्म दिया और एक दो और फ़ार्म हाउसों में तोड़फोड़ हुई। आज अब तक किसी फ़ार्म हाउस में तोड़फोड़ नहीं हुई। सिक्के के दो पहलू होते हैं और दूसरा पहलू फ़ार्म हाउस के मालिक या किरायेदार हैं। पहले पहलू की बात करें तो फ़ार्म हॉउस वन विभाग की जमीन पर बने हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तोड़े जा रहे हैं।
दूसरे पहलू की बात करें तो आज कुछ फ़ार्म हाउस के मालिकों से बात हुई साथ में फ़ार्म हाउस की जमीन को किराए पर लेने वालों से भी बात हुई। कुछ किरायेदारों का कहना है कि हमारा तो सब कुछ बर्बाद हो जा रहा है क्यू कि हमने किराये पर जमीन ली थी और वहां काफी पैसे लगाकर हाल वगैरा का निर्माण किया था। अब ये सब टूटेगा तो नुकसान हमारा होगा। मालिक की जमीन तो उसी तरह रहेगी जैसे पहले थी। किरायेदारों ने कहा कि अब किसी फ़ार्म हाउस पर जेसीबी चल रही होती है तो हम कांपने लगते हैं और लगता है कि पीला पंजा कहीं और नहीं हमारे पेट पर चल रहा है क्यू कि कॉरोनकाल में भी हम अपने मालिकों को किराया देते रहे और लगभग डेढ़ साल से एक भी शादी पार्टी की बड़ी बुकिंग कोरोना गाइडलाइंस के कारण नहीं कर पाए और इस कारण हम ही नहीं स्टाफ के लोग और फ़ार्म हाउस में काम करने वाले मजदूर भुखमरी के कगार पर हैं। दो हफ़्तों से शहर में कोरोना के बहुत कम मामले आने लगे और उम्मीद जगी कि अब बुकिंग आएंगी लेकिन अब ये सब होने लगा। हमारे अरमानों पर तोड़फोड़ की तलवार लटकने लगी इस कारण हम क्या हमारे परिवार की नींद चैन कई दिनों से गायब है।
लोगों ने कहा कि अगर ये सब पूरी तरह से अवैध है तो हमारी बर्बादी में फरीदाबाद का प्रशासन भी पूरी तरह से जिम्मेदार है ,हम जब फ़ार्म हाउस में पहली ईंट लगा रहे थे तभी रोक दिया जाता हम यहाँ करोड़ों रूपये न लगाते।उस समय अधिकारी हमें कुछ नहीं बोले और क्यू नहीं बोले ये एक बड़ा सवाल है? अब हमें एकतरफा बलि के बकरे की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। हमें फ़ार्म हॉउस के कई मालिक भी मिले और बहुत दुखी दिखे। ऐसी रूम में भी वो पसीने से तरबतर दिखे। कल इनका दर्द सार्वजानिक करूंगा। ये सब भी बहुत दुखी दिखे
Post A Comment:
0 comments: