चंडीगढ़ - पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला आज पूरी तरह से आजाद हो गए और इनेलो कार्यकर्ताओं में गजब का जोश देखा जा रहा है। ट्विटर पर सुबह से ही #हरियाणा_का_शेर_आया ट्रेंड हो रहा है। माना जा रहा है कि चौटाला अब पूरे हरियाणा का दौरा कर कार्यकर्ताओं में उत्साह भरेंगे।
लगभग 10 साल जेबीटी भर्ती घोटाले में सजा काटने के बाद ओम प्रकाश चौटाला की जेल से रिहाई हरियाणा की राजनीति पर काफी असर डाल सकती है। खासकर जाट राजनीति इससे प्रभावित होगी। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि ओपी चौटाला के सक्रिय होने से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। क्योंकि अभी उसके नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाटों के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। भाजपा का मानना है कि इससे जाट राजनीति दो हिस्सों में बंट सकती है और राजनीतिक रूप से उसे लाभ मिल सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में चौटाला की रिहाई से सभी दल प्रभावित होंगे। इसका एक बड़ा लाभ भाजपा को मिल सकता है। भाजपा की जाट राजनीति कमजोर पड़ रही है और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इसका लाभ मिल रहा है। अब चौटाला के आने से जाट राजनीति चौटाला और हुड्डा के बीच बंट सकती है। फ़िलहाल कांग्रेस में चल रही गुटबाजी ऐसे ही चलती रही तो उसका फायदा इनेलो उठाने का प्रयास करेगी लेकिन इतना आसान भी नहीं है क्यू कि हुड्डा पूरे प्रदेश में अपनी मजबूत टीम बना चुके हैं। हुड्डा को सबसे ज्यादा खतरा अगर किसी से है तो उन्ही की पार्टी के कुछ नेताओं से है जो हैं तो बहुत कमजोर लेकिन सीएम बनने का सपना रात दिन देख रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो अब भाजपा को गैर जाट राजनीति से खुद को मजबूत करने का प्रयास करेगी । फिलहाल ओम प्रकाश चौटाला के पोते और जजपा नेता दुष्यंत चौटाला भाजपा के साथ हैं। ऐसे में कुछ जाटों का समर्थन भाजपा को मिलता रहेगा। हरियाणा में विधानसभा चुनाव तीन साल बाद होंगे। फिलहाल किसान आंदोलन के कारण प्रदेश में भाजपा और जजपा की हालत खस्ता है। ओपी चौटाला भी अब किसान आंदोलन का फायदा उठाने का प्रयास करेंगे क्यू उनके पुत्र अभय चौटाला किसानों के लिए विधायक पद से स्तीफा दे दिया था।
ओपी चौटाला की उम्र काफी ज्यादा है और उनकी भागदौड़ में बाधा बन सकती है। पुराने कर्म भी कुछ खास अच्छे नहीं हैं। चुनाव में समय भी तीन साल से ज्यादा का है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो इनेलो का कद जजपा से ऊपर जरूर बढ़ेगा क्यू कि वर्तमान समय में अगर विधानसभा चुनाव हो जाएँ तो जजपा को जीरो से अधिक सीटें शायद ही मिलें। ऐसे में कुछ समय बाद जजपा के तमाम नेता इनेलो में शामिल होंगे। ये वो नेता भी जानते हैं। अभी तक कयास लगाए जा रहे थे कि जजपा के विधायक कांग्रेस की तरफ भागेंगे ताकि अगली सरकार में भी सत्ता की मलाई मिलती रहे लेकिन अब संभव है कि कुछ विधायक इनेलो के पाले में चले जाएँ। ऐसा चुनावों के 6 महीने पहले होगा और दुष्यंत अकेले पड़ जाएंगे। संभव है एक समय ऐसा भी आये जब जजपा में दुष्यंत, दिग्विजय, उनकी माताश्री और उनके पिताश्री ही दिखें।
जजपा में भगदड़ तो मचेगी ये तय है लेकिन अभी नहीं क्यू कि अभी मलाई कोई विधायक नहीं छोड़ना चाहेगा। किसान आंदोलन लम्बा चला तो इसका फायदा कांग्रेस और इनेलो को मिलेगा ,भाजपा और जजपा से ज्यादा इनेलो को सीटें मिल सकती हैं। फिलहाल हरियाणा में कांग्रेस मजबूत दिख रही है खासकर टीम हुड्डा। अभी प्रदेश में चुनाव हों तो कांग्रेस 60 से अधिक सीटों पर जीत पा सकती है। वर्तमान में रिकार्डतोड़ ,मंहगाई, पेट्रोल , डीजल और रसोई गैस के बढे दामों से लोग भाजपा सरकार से बहुत नाराज हैं। राज्य और केंद्र सरकार दोनों से।
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