नई दिल्ली - उत्तर प्रदेश जिला पंचायत चुनावों में भाजपा को उम्मीद से अधिक सफलता मिली और विपक्ष इस जीत पर लगातार सवाल उठा रहा है जिसका कहना है कि चुनाव धनबल और सत्ताबल के कारण जीते गए और प्रशासन का भी इस्तेमाल किया गया। भारतीय जनता पार्टी ने कुल 75 जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर 67 में जीत दर्ज की लेकिन इस बार प्रतापगढ़ में फिर भाजपा को बड़ी मात खानी पडी। भाजपा राजा भैया उर्फ़ रघुराज प्रताप सिंह के सामने बेबस और लाचार नजर आई। राजा भैया समर्थित माधुरी पटेल 57 में से 40 मत लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। यहाँ सपा की अमरावती को 6 और भाजपा की क्षमा सिंह को मात्र तीन वोट ही मिल सके। और जगहों पर लोग भाजपा पर आरोप लगाते रहे कि भाजपा बाहुबल और सत्ताबल दिखा रही है। प्रशासन का इस्तेमाल कर रही है। प्रतापगढ़ में भाजपा ऐसे आरोप राजा भैय्या पर लगा रही थी।
आपको बताते चलें कि पिछले ढाई दशक से प्रतापगढ़ की सियासत में राजा भैया की तूती बोलती है, कुंडा से 6 बार लगातार विधायक बने राजा भैया हर बार आजाद मैदान में उतरते थे। हर बार उनका चुनाव नि चिन्ह अलग होता था। दो साल पहले उन्होंने जनसत्ता पार्टी बनाई और सम्भव है अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी के 100 से अधिक प्रत्याशी मैदान में उतारें।
प्रतापगढ़ में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में राजा भैय्या के समर्थक की ही जीत होती रही है। साल 1995 में राजा भैया के करीबी हरिवंश सिंह की पत्नी अमरावती सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुईं थीं। फिर साल 2000 में बिदेश्वरी पटेल, साल 2005 मेकमला देवी और वर्ष 2016 में उमाशंकर यादव अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। 2010 में यहाँ मायावती की बसपा का खाता खुला था। प्रमोद मौर्य जीते थे। पिछली बार प्रतापगढ़ की सीट सपा को गई थी। उस समेत राजा भैया सपा के नजदीक थे और उन्होंने ही सपा प्रत्याशी को जिताया था। कहा जा रहा है इस बार राजा भैया और प्रमोद तिवारी में बात बन गई थे और भाजपा को पूरी तरह से मात देने का प्लान बनाया गया था और प्लान सफल भी रहा। यही नहीं जौनपुर में बाहुबली धन्नंजय सिंह भी अपने उम्मीदवार को जिताने में कामयाब रहे। वहां भी भाजपा की नहीं चली।
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