चंडीगढ़/ फरीदाबाद - कोरोना की दूसरी लहर थमते ही हरियाणा पंचायत चुनाव की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। माना जा रहा है कि अगस्त या सितम्बर में पंचायत चुनाव करवा लिए जाएंगे। हरियाणा नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के अध्यक्षाें के आरक्षण का ड्रा 22 जून को निकाला जा चूका है। प्रदेश के 22 जिला परिषदों, 142 ब्लाक समितियों और 6205 पंचायतों के पंच- सरपंचों के लिए चुनाव जल्द ही हो सकते हैं , इसमें जिला परिषदों के 416 सदस्यों, ब्लाक समितियों के 3002 सदस्यों और सरपंचों के लिए 6205 पंचायतो के लिए होने है। आज उत्तर प्रदेश जिला पंचायत के नतीजों को देख भाजपा खुश है लेकिन अभी तक ये तय नहीं है कि पंचायत चुनाव भाजपा सिम्बल पर ही लड़ेगी।
किसान आंदोलन के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा की हालत खस्ता है इसलिए हो सकता है भाजपा पंचायत चुनावों में सिम्बल से दूर रहे। कांग्रेस अगर संगठन खड़ा कर पाती है तो संभव है चुनाव सिम्बल पर ही लगे। आम आदमी पार्टी के हरियाणा के प्रभारी एवं राज्य सभा सांसद सुशील गुप्ता ने आज कहा क़ि उनके पार्टी सिम्बल पर पंचायत चुनाव लड़ेगी और पूरे प्रदेश में उम्मीदवार उतारे जायेंगे। जजपा और इनेलो के उम्मीदवार भी मैदान में होंगे। कौंन सिम्बल पर लड़ता है कौन किसी उम्मीदवार को समर्थन देगा ये तो वक्त ही बताएगा।
पंचायत चुनावों के बाद ही फरीदाबाद के नगर निगम चुनाव होने हैं जो शायद अगले साल जनवरी में करवाए हैं। अभी लगभग 5 महीने का समय है लेकिन संभावित उम्मीदवारों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। जल्द अब त्योहारों का सीजन शुरू होगा और शहर के बिजली के खम्भों पर तमाम समाजसेवी देखने को मिलेंगे। ऐसे लोग भी खुद को समाजसेवी बताएँगे जिन्होंने पूरे पांच साल कभी समाजसेवा की ही नहीं। बस हाथ जोड़कर अच्छी सी फोटो खिंचवाएंगे और खम्भों पर बैनर पोस्टर लगवा देंगे। नगर निगम फरीदाबाद के चुनाव भाजपा सिम्बल पर ही लड़ेगी और इस बार भाजपा को उम्मीद के मुताबिक सफलता शायद ही मिले क्यू कि पिछली बार मोदी लहर के कारण ऐसे लोग भी पार्षद बन बैठे हैं जो अपनी गली के गली अध्यक्ष बनने लायक भी नहीं हैं। यही कारण है कि फरीदाबाद नगर निगम में 200 करोड़ से अधिक का घोटाला हो गया और अधिकतर भाजपा पार्षद अब भी खामोश हैं। चुप्पी साधे हुए हैं।
अधिकारी पढ़े लिखे होते हैं और उन्हें पता होता है कि किस नेता को कैसे उल्लू बनाया जा सकता है और अगर नेता किसी हवा में कोई चुनाव जीते तो अधिकारी उस नेता की औकात समझ जाते हैं। नगर निगम में हुआ ये बड़ा घोटाला शायद ही जनता तक पहुँचता। अगर बल्लबगढ़ के पार्षद दीपक चौधरी ने आवाज न उठाया होता तो भ्रष्ट 250 करोड़ नहीं उसके आगे भी घोटाले जारी रखते। कागजों पर तालाब, पार्क, या अन्य निर्माण दिखा फरीदाबाद को लूटते रहते। दीपक चौधरी ने तूफ़ान से टकरा चुनाव जीता। कोई हवा उन पर हावी नहीं हो सकी। उन्होंने जमकर पसीना बहाया और भाजपा उम्मीदवार को पटकनी देकर नगर निगम का चुनाव जीता। उन्होंने अपनी मेहनत से चुनाव जीता इसलिए उन्होंने फरीदाबाद को लुटने से बचाने का हर प्रयास किया और निगम घोटाले को उजागर किया। दीपक की इसी मेहनत को देखकर पिछले विधानसभा चुनावों में बल्लबगढ़ के 19000 से अधिक लोग उनके साथ खड़े दिखे।
इस बार मेयर का चुनाव अलग से होगा और फरीदाबाद के पांच विधानसभा सीटों की जनता अपना मेयर चुनेगी। भाजपा के एक दो संभावित उम्मीदवारों के नामों के चर्चे अब शहर में चल रहे हैं। कांग्रेस किसे मैदान में उतरेगी कोई पता नहीं है। आप जिला अध्यक्ष धर्मबीर भड़ाना को मैदान में उतार सकती है। अगर कांग्रेस ने किसी मेहनती और ईमानदार नेता को मैदान में उतारा तो भाजपा के उम्मीदवार से कड़ी टक्कर होगी क्यू कि फरीदाबाद में अब भाजपा को कोई चुनाव जीतने के लिए पापड बेलने पड़ेंगे। मोदी-मोदी कर चुनाव जीतने का वक्त फ़िलहाल नहीं है। जनता भयंकर मंहगाई झेल रही है। पेट्रोल, डीजल के दाम रिकार्ड तोड़ रहे हैं। सरसों का तेल और रिफाइंड अब आम जनता से दूर साथ में रसोई गैस के दाम भी जनता को रुला रहे हैं। पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने से सब्जियों के दामों में अब तेजी से उछाल आ रहा है। ये सब भाजपा पर भारी पड़ेगा लेकिन कुछ पार्टियां चुनाव में पैसे ज्यादा नहीं खर्च कर पाएंगी जिसका फायदा भाजपा उम्मीदवार को मिलेगा। क्यू कि संभव है मेयर पद के लिए किसी अरबपति भाजपा के परिवार से कोई खड़ा हो जाए और वो चुनाव जीतने के लिए पानी की तरह पैसा बहा सकता है।
नगर निगम चुनाव में भी कुछ ऐसा ही देखा जा सकता है। कुछ उम्मीदवार पानी की तरह पैसा बहाकर चुनाव जीतने का प्रयास करेंगे लेकिन फरीदाबाद की जनता के मूड की बात करें तो इस बार भाजपा की दाल पूरी तरह से नहीं गलेगी ,भले ही पानी की तरह पैसे बहाएं। नगर निगम चुनावों में आप देख सकेंगे कि कई नामी गिरामी भाजपा पार्षदों की जमानत जब्त जाएगी। कुछ पार्षद फिर चुनाव जीत सकते हैं जो शुरू से ही जनता के बीच में हैं, हम जल्द ऐसे पार्षदों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे। और जो पार्षद साढ़े चार साल से गायब हैं उनके बारे में भी बताएँगे।
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