नई दिल्ली- कोरोना से हुई मौतों पर विपक्ष फिर केंद्र सरकार को घेर सकता है क्यू कि अमेरिकी शोध समूह की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कोरोना महामारी से 34 से 47 लाख मौतें हुई हैं। जो कि केंद्र सरकार के आंकड़ों से 10 गुना ज्यादा है। तमाम विपक्षी नेता मई जून से ही कह रहे हैं कि सरकार ने मौतों का आंकड़ा छुपाया है। कुछ जानकारों का भी कहना है कि कॉरोनकाल में जब रोजाना चार हजार मौतें होती थीं तो देश के शमशान और कब्रिस्तान में लाइनें लगी थीं जबकि देश में औसतन चार हजार मौतें किसी न किसी कारण अब भी रोजाना हो रहीं हैं ऐसे में उस समय लाईन क्यू लगी। शायद उस समय मौतों का आंकड़ा अधिक था।
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, भारत में अब तक कोरोना से 4,14,482 लोगों की मौत हुई है, जो दुनिया में तीसरे नंबर पर है। वहीं, अमेरिका में 609000 और ब्राजील में 542000 मौतें हुई हैं। अमेरिकी स्टडी ग्रुप सेंटर ऑफ ग्लोबल डिवेलपमेंट की रिपोर्ट में जो दावा किया गया है, वह अब तक का सबसे अधिक है। जो किसी भी संगठन की ओर से बताया गया है। इस रिपोर्ट की खास बात है कि इस रिपोर्ट के ऑथरों में मोदी सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यन भी शामिल हैं। शोधकर्ताओं का दावा है कि कोरोना से मृतकों की वास्तविक संख्या कुछ हजार या लाख नहीं दसियों लाख है।
वैसे देखा जाए तो अप्रैल मई में देखा गया कि कुछ बड़े शहरों में मौतों का आंकड़ा रोजाना 10 के आस पास बताया जा रहा था। ऐसे शहरों में लगभग 10 शमशान और कब्रिस्तान थे और सभी में लाइनें लगी थीं। शव जलाने या दफनाने के लिए घंटों इन्तजार करना पड़ता था तभी से मौतों के आंकड़ों पर सवाल उठ रहे थे।
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