10 जुलाई 2021,स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने रेवाड़ी जिला प्रशासन के इस दावे को हस्यास्पद बताया कि हरियाणा भाजपा सरकार व जिला प्रशासन मनेठी-माजरा एम्स के निर्माण के प्रति गंभीर है और माजरा की प्रस्तावित जमीन के बीच जो पैच है, उन्हे भूमि मालिक किसानों से पोर्टल पर जमीन अपलोड करवाने के लिए दिन-रात काम कर रहे है। विद्रोही ने कहा यदि हरियाणा भाजपा सरकार व प्रशासन मनेठी एम्स निर्माण के प्रति गंभीर होता तो मोदी केबिनेट द्वारा 28 फरवरी 2019 को 1299 करोड़ रूपये की लागत से स्वीकृत मनेठी एम्स के लिए जमीन लेने में ढाई साल का समय बबार्द नही हुआ होता। वहीं एम्स स्वीकृति के ढाई साल बाद भी जमीन का मुद्दा न सुलझाना खुद जींवत प्रमाण है कि हरियाणा भाजपा सरकार एम्स निर्माण के प्रति पैसेभर भी गंभीर नही है। कटु सत्य यही है कि माजरा में एम्स के लिए जो भी जमीन पोर्टल पर अपलोड हुई है, वह ग्रामीणों की खुद की पहल पर हुई है।
विद्रोही ने कहा कि मनेठी-माजरा व आसपास के गांवों के ग्रामीण ही किसानों को समझाकर व प्रार्थना करके क्षेत्र के विकास व उच्चतर स्वास्थ्य संस्थान को इस क्षेत्र में स्थापित करवाने के लिए पहले ही दिन से भूमि विवाद को सुलझाने व आवश्यक जमीन का प्रबंध करने में जी-जान से जुटे हुए है। जमीनी वास्तविकता यह है कि मनेठी एम्स निर्माण के लिए ग्रामीण व किसान ही भाजपा खट्टर सरकार को मजबूर कर रहे है वरना सरकार तो कभी का एम्स निर्माण से पल्ला झाड़ चुकी थी। एम्स निर्माण की जो भी गतिविधियां व प्रयास हो रहे है, वह सभी दक्षिणी हरियाणा के आमजनों के संघर्ष व मेहनत के बल पर हो रहे है। सरकार व प्रशासन झूठा श्रेय लेकर अपने मुंह मियां मिठ्ठू बन रहा है। विद्रोही ने कहा कि यदि भाजपा खट्टर सरकार व जिला प्रशासन एम्स निर्माण के प्रति गंभीर व ईमानदार होता तो एम्स के लिए जमीन लेने खातिर पोर्टल-पोर्टल का खेल खेलकर जमीन मुद्दे को जटिल बनाने की बजाय भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार सीधे किसानों से जमीन अधिग्रहित करता और एम्स निर्माण कभी का शुरू हो गया होता। विद्रोही ने कहा कि सरकार के अडियल रवैये से एम्स के लिए जमीन लेने में जो अवराध सामने आ रहे है, उसके चलते कोई भी स्पष्ट रूप से यह नही कह सकता है कि मनेठी-माजरा एम्स बनेगा भी या नही।
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