मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में आज यहां हुई ‘अटल भू-जल योजना’ से संबंधित समीक्षा बैठक में उक्त मंजूरी दी गई है। इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जे.पी. दलाल के अलावा सिंचाई एवं जल संसाधन, जनस्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी एवं कृषि सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने राज्य में ‘अटल भू-जल योजना’ को ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ और सूक्ष्म-सिंचाई जैसी अन्य जल-संरक्षण योजनाओं के साथ जोडऩे के निर्देश दिए। उन्होंने इस दौरान भविष्य की योजनाओं के बारे में भी अधिकारियों से जानकारी ली।
सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री देवेंद्र सिंह ने बताया कि ‘अटल भू-जल योजना’ के तहत हरियाणा के कुल 14 जिलों को कवर किया जाएगा, जिनमें कुल 1669 ग्राम पंचायतों वाले 36 ऐसे ब्लॉक शामिल हैं जहां पर भू-जल का स्तर काफी नीचे है। राज्य सरकार ने प्रदेश में नीचे जा रहे भू-जल स्तर में कम से कम 50 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री को यह भी जानकारी दी गई कि हरियाणा में शुरू की गई ‘अटल भू-जल योजना’ को केंद्र सरकार और विश्व बैंक द्वारा सहयोग किया जाता है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य भू-जल संसाधनों का ‘हाइड्रोजियोलॉजिकल डेटा नेटवर्क बनाना’ और प्रदेश में इन संसाधनों के प्रबंधन के लिए सामुदायिक संस्थानों का निर्माण करना है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत जागरूकता गतिविधियों के साथ-साथ हितधारकों की क्षमता का निर्माण भी किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि प्रारंभ में प्रत्येक गांव की जल सुरक्षा योजना तैयार की जाएगी और अगले चार वर्षों में इसे लागू किया जाएगा।
‘अटल-जल हरियाणा’ परियोजना के निदेशक डॉ. सतबीर सिंह कादियान ने बताया कि ‘अटल भू-जल योजना’ के तहत विभिन्न जल-पंचायतें आयोजित की जाएंगी जिनमें ग्रामीण अपने भू-जल संसाधनों का स्वामित्व लेंगे और राज्य की टीम के परामर्श से भविष्य की कार्य योजना तय करेंगे। उन्होंने आशा जताई कि यह योजना प्रदेश में भू-जल स्तर को बनाए रखने में क्रांति लाएगी जो पूरे देश के लिए एक मिसाल साबित होगी।
इस अवसर पर बैठक में मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव श्री डी.एस ढेसी, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री टी.वी.एस.एन प्रसाद, आपूर्ति और निपटान विभाग के महानिदेशक श्री नितिन यादव के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
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