राज्यसभा सांसद ने कहा की देश की सर्वोच्च न्यायालय की खंड पीठ ने भी केंद्र की टीकाकरण नीति को मनमाना और तर्कहीन बताते हुए कई सवालों के जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। जिससे देश के लोगों को इस सरकार की नीयत पर ही शंका होने लगी है और लोगों में एक अनजाने भय का माहौल जन्म लेता जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड की दूसरी लहर ने इस बार हर गाँव और शहर के प्रत्येक घर को प्रभावित किया है। वैज्ञानिक तथा वरिष्ठ अनुसंधान का कहना है कि लोगों का जीवन बचाने और कोविड के प्रसार को रोकने का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा तथा जल्द से जल्द सभी को टीका लगाया जाए। प्राय विश्व के सभी देश सभी नागरिकों को मुफ्त टीकाकरण प्रदान कर रहे हैं और कई देशों ने तो 50- 60% से अधिक नागरिकों को टीकाकरण कर दिया है। 1.5 करोड़ लोगों को प्रतिदिन टीका लगाने वाले चीन की तुलना में भारत प्रतिदिन 18 से 20 लाख लोगों का ही टीकाकरण कर रहा है। ऊपर से मुख्यमंत्री का ये ब्यान हास्यपद नहीं तो क्या है ?
डॉ सुशील गुप्ता ने कहा कि बड़ी आबादी होना तो भारत की सबसे बड़ी ताकत है जिसका दोष नहीं दिया जा सकता। ऐसे बयानों से यही लगता है की प्रदेश सरकार ने हथियार डाल दिए हैं और बहकी बहकी बगैर सिर पैर की अनर्गल बातें का कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र,राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए अलग अलग खरीद और अंतर मूल्य निर्धारण भारत में टीकाकरण की गति को बाधित कर रही है। ऐप आधारित टीकाकरण बुकिंग एक डिजिटल विभाजन पैदा कर रही है और बिना स्मार्टफोन या इंटरनेट के लोगों के लिए टीकाकरण करना बहुत मुश्किल हो गया है। जिस पर सर्वोच्च न्यायलय ने भी सवाल खड़े किये हैं। उन्होंने मांग की है अगर लोगों को बचाना है तो कि भारत सरकार युद्ध स्तर पर समान रूप से सभी का निःशुल्क टीकाकरण करे तथा युवाओं को भी बिना किसी ऐप बुकिंग के नि:शुल्क टीकाकरण किया जा
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