नई दिल्ली- अगले साल उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसकी तैयारियां जोरों पर हैं। लगभग तीन हफ्ते से चल रहीं अफवाहों का गुब्बारा हाल में धड़ाम से फूट गया जिससे कुछ सत्ताधारी नेता घायल बताये जा रहे हैं। ये नेता वही हैं जिन्होंने एक सोंची समझी राजनीति के तहत अफवाह फैलवाया था कि उत्तर प्रदेश सरकार में फेरबदल होने वाला है और योगी की कुर्सी जाने वाली है। इन नेताओं पर कुछ विपक्षी नेताओं का भी हाथ बताया जा रहा है। ये नेता कौन थे इस ट्वीट और कमेंट्स से समय जाएँ खबर आगे भी जारी रहेगी।
राजनीति में खुजली बहुत होती है..2022 में यूपी का CM कौन बनेगा ये केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा : केशव प्रसाद मौर्यापूरे देश के शान्तिदूत, सेक्युलर, लुटियन मीडिया, वामपंथी, दोगले बुद्धिजीवी जब योगी जी के पीछे हाथ धो-कर पीछे पड़े हों तब इनका ये बयान क्या उचित है??मौन नही रह सकते?— Janardan Mishra (@janardanmis) June 22, 2021
यही bjp के असली गद्दार हैं वो चाहे केसव मौर्य हो या स्वामी प्रसाद मौर्य यही बीजेपी को यूपी में डुबोने का काम करेंगे बाकी बिरोधियो के बस की बात नही है समस्या है योगी जी न खाते हैं ना खाने देते हैं।
— जय श्री परसुराम दादा 100 % फॉलो बैक (@NamoAga13453361) June 22, 2021
दो बार विधानसभा चुनाव हारकर मोदी लहर में लोकसभा पहुंचने वाले केशव प्रसाद मौर्य को लगता है कि बिना किसी लहर के लगातार 5 बार लोकसभा पहुंचने वाले मोदी जी के बाद सबसे लोकप्रिय नेता को हटाकर मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा | घबराए नही सर केशव जी की हालत धोबी के कुत्ते वाली होगी इस बार ।
— Kamalakant Singh (@SibbuBhriguvan1) June 22, 2021
अपने दिल को बहला रहे है मौर्या जी, लगता है चर्बी चढ़ रही है इनको, जब विरोधी पस्त हो, तब अपने लोग सुख को पचा नही पा रहे है, Dy CM बन गए, क्या कम बात है? पूरी के चक्कर मे आधी भी अपच ना हो जाए
— Harry12345 (@hsv12345) June 22, 2021
यहाँ आप बहुत कुछ समझ गए होंगे कि भाजपा समर्थक किस पर उंगली उठा रहे हैं। उप मुख्य्मंत्री केशव प्रसाद मौर्य और केबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य पर उंगली उठ रही है। कहा जा रहा है कि ये दो नेता योगी पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं और इनकी बयानबाजी की पटकथा कोई और लिख रहा है। फ़िलहाल सीएम योगी किसी दबाव में आएं या किसी नेता के बयान का उनपर कोई खास असर हो ऐसा लगता नहीं। अगर दबाव में आने की स्थिति होती तो सीएम एके शर्मा को उप मुख्य्मंत्री बनाने को भी राजी हो जाते, जिसके कयास कई दिनों से लग रहे थे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। एके शर्मा को ना मुख्यमंत्री आवास के बगल का बंगला अलॉट हुआ और ना सरकार में कोई बड़ा पद मिला, ऐसे में ये तो साफ है कि योगी किसी दबाव में नहीं दिख रहे।
बात करें स्वामी प्रसाद मौर्य की तो वो पांच साल पहले बसपा से भाजपा में आये और अब बड़ा ज्ञान दे रहे हैं। भाजपा की परंपरा बता रहे हैं जिनका कहना है कि भाजपा की परंपरा रही है कि चुनाव के पहले सीएम का चेहरा उजागर नहीं किया जाता। कहा जा रहा है कि कैसे दिन आ गए! स्वामी प्रसाद मौर्य बता रहे हैं भाजपा को उसकी परम्परा, उन्हें पार्टी के बारे में ज्ञान शायद नहीं है। 1974 में भारतीय जनसंघ ने अटल जी को मुख्य्मंत्री पद के लिए पेश कर चुनाव लड़ा गया था। पिछले कुछ चुनावों की बात करें तो एमपी में उमा भारती, राजस्थान में वसुंधरा और हरियाणा में मनोहर लाल को ( दूसरे कार्यकाल ) में सीएम पद के रूप में प्रोजेक्ट कर चुनाव लड़ा गया।
कहा जा रहा है कि अब मौर्या जैसे दलबदलू नेता भाजपा को परम्परा का पाठ पढ़ाएंगे। बात करें योगी की तो पांच बार के सांसद वो भी कई बार बिना किसी लहर के और केशव दो बार सांसद बने वो मोदी लहर में, योगी देश के तमाम राज्यों में होने वाले चुनावों में स्टार प्रचारक के रूप में जाते हैं और केशव यूपी तक सीमित हैं।
कहा जा रहा है कि कल्याण सिंह के बाद यूपी को सबसे ईमानदार सीएम मिला है और ये बात कुछ लोगों से हजम नहीं हो रही है। कुछ नेता लूट खसोट नहीं कर पा रहे हैं। वो चाहते हैं वो बड़ी कुर्सी पर पहुँच जाएँ तो और अन्य नेताओ की तरह लूट खसोट कर सकें इसलिए उन्हें योगी से परेशानी है। पहला गुब्बारा फूट चुका है। दूसरा गुब्बारा फुलाने लगे हैं इसलिए तरह-तरह की बयानबाजी जारी है।
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