फ़िलहाल कहा जा रहा है कि अगर भाजपा और कांग्रेस सिम्बल पर अपने उम्मीद्वार मैदान में उतारेंगी तो पंचायत चुनावों में कांग्रेस को भाजपा से काफी ज्यादा फायदा मिलेगा। इसका कारण किसान आंदोलन और मंहगाई है। वर्तमान में हर घर के लोग मंहगाई से परेशान हैं और कांग्रेस इसे मुद्दा बना सकती है। किसान आंदोलन का मुद्दा तो कांग्रेस के पास है ही। भाजपा की कमान में फिलहाल कोई खास तीर नहीं है। इन चुनावों में पीएम मोदी का भी कोई कमाल नहीं दिखेगा। अब हरियाणा में कोई भी चुनाव होगा तो दीपेंद्र सिंह हुड्डा का जलवा देखने को मिलेगा।
दीपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा के पहले ऐसे नेता बन गए हैं जिन्होंने कॉरोनकाल में जनता की जमकर मदद की। उनकी टीम की हर जगह सराहना हो रही है। जिस समय दीपेंद्र और उनकी टीम मैदान में थी उस समय भाजपा के पूरे प्रदेश के सभी भाजपा सांसद बिलों में दुबके थे जो अब बाहर निकले जब कोरोना के मामले बहुत कम हो गए।
भाजपा चाहेगी कि हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में जल्द उसकी पकड़ मजबूत हो जो किसान आंदोलन के कारण कमजोर पडी है। अभी हालात ये हैं कि लगभग 15 जिलों में भाजपा या जजपा के बड़े नेता बिना भारी सुरक्षा के गांवों में कदम नहीं रख सकते ऐसे में पंचायत चुनावों में भाजपा को नुक्सान हो सकता है। यही कारण है कि भाजपा ने अपनी टीम मैदान में उतार नेताओं को जिम्मेदारियां सौंप दी हैं।
जजपा को भी पंचायत चुनावों में किसानों से जूझना पड़ेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में अब जजपा को शायद ही उम्मीद के मुताबिक सफलता मिले। इनेलो को जजपा से ज्यादा सफलता मिल सकती है और अब तो इनेलो सुप्रीमों ओम प्रकाश चौटाला भी खुलकर मैदान में दहाड़ते दिखेंगे क्यू कि आज उनकी सजा पूरी हो गई और इनेलो जश्न मनाने लगी है।
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